जाने पंचायत” की परंपरा के पीछे का इतिहास- डॉ चंद्रशेखर प्राण
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जैसा कि आप अवगत है विगत 30 जुलाई 2022 को तीसरी सरकार अभियान के अंतर्गत एक नई किताब “गांव समाज का पुनर्जागरण” का लोकार्पण हुआ है ।इसके लेखन के पीछे की मूलदृष्टि यह है कि “पंचायत” की परंपरा के पीछे का इतिहास तीन चीजों पर आधारित रहा है- 1.गांव 2.गांव समाज 3. पंचायत व ग्राम सभा
1. गांव – लोग और भूगोल
2.गांव समाज – लोगों के बीच का परस्पर संबंध (परिवार व पड़ोस)
3.पंचायत – सामाजिक व्यवस्था के रूप में परस्पर संबंधों में आई खटास व विसंगति को दूर करने के लिए गांव समाज की बैठकी या सभा
● वर्तमान समय का संकट यह है कि “गांव” है और संविधान ने “पंचायत” को स्व – सरकार (सेल्फ गवर्नमेंट) के रूप में मान्यता दे दी है । लेकिन गांव समाज (परस्पर संबंध) बुरी तरह से घायल होकर सुसुप्तावस्था में है । ऐसे में पंचायत या ग्राम सभा का अस्तित्व ही बेमानी होगया है ।
● आज गांव (लोग और भूगोल ) और पंचायत (अपनी गांव सरकार) तो है लेकिन गांव समाज या तो मृतप्रायः है या फिर परस्पर संघर्षों में उलझा पड़ा है । ऐसे में गांव की सभा या पंचायत की जो स्थिति दिखाई पड़ रही है वह बहुत चिंताजनक है।
आज का विचारणीय बिषय यह है कि जिस पंचायत के सहारे हजारों सालों से गांव का अस्तित्व सुरक्षित होने से भारत और भारत की संस्कृति बची रही , उसी पंचायत के माध्यम से गांव के स्वराज्य व खुशहाली (ग्रामस्वराज्य व रामराज्य) का जो सपना देखा जा रहा है वह मृतप्राय गांव समाज के बिना सिर्फ संविधान व कानून से क्या संभव है ? यदि नहीं तो अब इसे ठीक करने का तरीका व रास्ता क्या है ?
यह पुस्तक ऐसे ही सवालों से उलझती- सुलझती आगे बढ़ती है। लेकिन निष्कर्ष तो देश , काल ,परिस्थिति के हिसाब से तय होना है ।अतः हर गांव , हर जिले तथा हर प्रदेश में इस पर गंभीर विचार विमर्श की जरूरत है । इसी उद्देश्य को दृष्टि में रख कर यह संदेश आप तक प्रेषित है
कृपया इसपर चिंतन कर अपना सुझाव दें तथा अपने स्तर से किये जाने वाले प्रयास से भी अवगत कराएं । जिससे हम भी उसमें सहभागी व सहयोगी बन सकें ।