हाईकोर्ट के वकील राजीव कुमार पर एसएस फंड को लेकर पीआईएल में समझौते का आरोप,
सीबीआई और स्टेट बार काउंसिल से शिकायत
रांची। झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ता राजीव कुमार के पूर्व मुवक्किल राजू कुमार ने अपने पूर्व अधिवक्ता के खिलाफ विश्वासघात की शिकायत दर्ज कराई है. साथ ही उनका लाइसेंस जब्त करने की मांग की है. राजू कुमार ने अगस्त में बार काउंसिल आॅफ इंडिया में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें एडवोकेट एक्ट के प्रावधानों के तहत उचित कार्रवाई की मांग की गई है. रांची के मूल निवासी राजू कुमार ने कहा कि 23 जुलाई 2009 को उन्होंने झारखंड पुलिस के कुछ बड़े अधिकारियों और अन्य व्यक्तियों द्वारा गुप्त सेवा निधि के दुरुपयोग की सीबीआई जांच की मांग के लिए एक जनहित याचिका (3439/2009) दायर की थी. उन्होंने दावा किया है कि उन्होंने इस मामले के प्रतिवादी के रूप में झारखंड पुलिस के दो डीजीपी रैंक के अधिकारियों विष्णु दयाल राम और राजीव कुमार को नामित किया था. बिष्णु दयाल राम वर्तमान में भाजपा सांसद हैं और राजीव कुमार कांग्रेस से जुड़े हुए हैं.
गृह विभाग ने सीबीआई जांच के लिए अधिसूचना जारी की थी
याचिकाकर्ता ने कहा कि झारखंड उच्च न्यायालय ने इस मामले को मेरिट के आधार पर निस्तारित करते हुए कहा कि राज्य सरकार चाहे तो सीबीआई जांच की सिफारिश कर सकती है. जिसके बाद राज्य के गृह विभाग ने सीबीआई जांच के लिए अधिसूचना जारी की थी. याचिकाकर्ता के अनुसार, सीबीआई जांच को रोकने के लिए विष्णु दयाल राम ने अधिवक्ता राजीव कुमार के साथ मिलकर एक रिट याचिका डब्ल्यूपी पीआईएल (5459/2010) दायर की.
सीबीआई जांच के आदेश को उलट दिया गया
इस पूरे मामले में बार काउंसिल आॅफ इंडिया और झारखंड स्टेट बार काउंसिल को लिखी गयी शिकायत में राजू कुमार ने कहा है कि राजीव कुमार ने इस मामले में दिलचस्पी नहीं ली. दुख की बात है कि राजीव कुमार ने इस मामले को आगे नहीं बढ़ाया और आखिरकार 2012 में सीबीआई जांच के आदेश को उलट दिया गया. मुझे बताया गया था कि राजीव कुमार ने बीडी राम से पैसे लिए थे, ताकि सीबीआई जांच बंद हो जाए.