Tuesday, December 3, 2024

महारत्न कंपनी एनटीपीसी के महाअवैध ट्रांसपोर्टेशन में अधिकारी-राजनेता हो रहे बेनकाब

महारत्न कंपनी एनटीपीसी के महाअवैध ट्रांसपोर्टेशन में अधिकारी-राजनेता हो रहे बेनकाब

पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता के शिकायत पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में मामला दर्ज

अवैध ट्रांसपोर्टेशन के कारण मौत का मुआवजा बांट रही एनटीपीसी, अधिकारियों-नेताओं को चुप रहने का मिल रहा नजराना

हज़ारीबाग़ – पंकरी-बरवाडीह कोल साइडिंग से अवैध ट्रांसपोर्टेशन मामले में एनटीपीसी की परेशानी बढ़ गयी है. कोल परियोजना पंकरी -बरवाडीह से बानादाग रेलवे साइडिंग तक सड़क मार्ग से अवैध ट्रांसपोर्टेशन के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मामला दर्ज कर लिया है. पटना हाईकोर्ट के वरीय अधिवक्ता नवेंदु कुमार ने अपने मुवक्किल मंटू सोनी की तरफ से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत की थी. शिकायत की गहनता से जांच करने के बाद आयोग ने केस नंबर 138/34/11/2023 दर्ज कर लिया है. अब आगे की कार्रवाई आयोग करेगा.

 

बता दें कि एनटीपीसी “महारत्न कंपनी के नाम महाघोटाला” में खुलासा किया किया गया था कि कैसे मानव, वन्य जीवों से लेकर पर्यावरण प्रदूषण के खतरों को दरकिनार कर कोयले की कालाबाजारी के लिए अवैध ट्रांसपोर्टेशन किया जा रहा है. इसमें जिम्मेवार अधिकारियों-नेताओं की मिलीभगत की बात भी सामने आयी थी.

अवैध ट्रांसपोर्टेशन से हादसे के शिकार हो रहे लोग, पीड़ितों को मुआवजा बांट रही एनटीपीसी

पटना हाईकोर्ट के वरीय अधिवक्ता नवेन्दु कुमार ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को शिकायत की थी. इसमें कहा था कि एनटीपीसी परियोजना को भारत सरकार ने कन्वेयर बेल्ट से रेलवे साइडिंग तक कोयला ले जाने की शर्त पर मंजूरी दी थी. मगर एनटीपीसी ने कन्वेयर बेल्ट निर्माण में विलंब के कारण भारत सरकार के इंपैक्ट एसेसमेंट डिवीजन से सड़क मार्ग से ट्रांसपोर्टेशन का आदेश मांगा था. एनटीपीसी ने कन्वेयर बेल्ट बनाने वाली टेक्परो सिस्टम लिमिटेड को नोटिस जारी करने की बात कह कर 28 जून 2022 तक सड़क मार्ग से ट्रांसपोर्टेशन का आदेश प्राप्त कर लिया. इस बीच एनटीपीसी का कन्वेयर सिस्टम चालू हो गया. उससे कोयले की ढुलाई भी शुरू हो गयी. इसके बाद एनटीपीसी ने सड़क मार्ग से कोयला परिवहन करने का कोई आदेश भी नहीं लिया और भारत सरकार की मंजूरी की शर्तों के खिलाफ मानवीय, वन्य जीवों,पर्यावरण-प्रदूषण के गंभीर खतरे को दरकिनार कर सड़क मार्ग से कोयले का ट्रांसपोर्टेशन कर रही है. सड़क मार्ग से कोयला ट्रांसपोर्टेशन के विभागीय आदेश की अवधि समाप्त होने के बाद दो लोगों की मौत हो चुकी है. मौत के बाद एनटीपीसी के एमडीओ त्रिवेणी-सैनिक माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड पीड़ित परिजन को छह लाख रुपये मुआवजा और एक नौकरी बांट रहा है. उधर सबकुछ देखकर भी चुप रहने वाले जिम्मेवार अधिकारियों और नेताओं को भी चढ़ावा चढ़ाया जा रहा है.

ऐसी मेहरबानी आखिर क्यों?

एनटीपीसी परियोजना के लिए भारत सरकार की मंजूरी की शर्तों के अनुसार कन्वेयर सिस्टम बन जाने के बाद सड़क मार्ग से ट्रांसपोर्टेशन नहीं करना है. लेकिन बिना किसी आदेश के एनटीपीसी आम जन जीवन, वन्य जीवों-प्राणियों और पर्यावरण-प्रदूषण के खतरे को दरकिनार कर क्यों और कैसे सड़क मार्ग से अवैध ट्रांसपोर्टेशन कर रहा है, इस पर जिला प्रशासन के आला अधिकारी से लेकर वन विभाग,खनन विभाग और परिवहन विभाग के अधिकारी सब आश्चर्यजनक ढंग से चुप्पी साधे हुए हैं. कोई भी अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं. मामले में अफसरों की मनमानी का आलम यह है कि एनटीपीसी को सड़क मार्ग से अवैध ट्रांसपोर्टेशन के लिए वन विभाग से अनुज्ञा/परमिट और खनन विभाग से चालान भी जारी किया जा रहा है. यानि अवैध ट्रांसपोर्टेशन के लिए वैध चालान/परमिट जारी किया जा रहा है. बताया जाता कि इसके लिए अधिकारियों को एक फिक्स रकम पहुंचायी जाती है.

पूर्व मंत्री की रहस्यमयी चुप्पी का राज

पंकरी- बरवाडीह में अवैध खनन और ट्रांसपोर्टिंग मामले में एक पूर्व मंत्री की रहस्यमयी चुप्पी से स्थानीय ग्रामीण भौंचक हैं. ग्रामीणों में उनकी छवि भी वैसी ही बन चुकी है. बताया जाता है कि उनका धरना-प्रदर्शन या आंदोलन वहीं चलता है, जहां अपना धंधा (ट्रांसपोर्टिंग का) सेट करना होता है और आंदोलन सिर्फ अपना व अपने परिवार की आमदनी के लिए करते हैं. क्योंकि सब जानते समझते हुए भी पंकरी- बरवाडीह में अवैध खनन- ट्रांसपोर्टिंग मामले में चुप हैं, जबकि चट्टी बरियातू-केरेडारी में ट्रांसपोर्टिंग हथियाने के तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं. ग्रामीणों को आंदोलन के लिए उकसा रहे हैं औल लालच भी दे रहे हैं. उनकी वजह से गोलीकांड हो चुका है, जिसमें कई निर्दोष को भी जान गंवानी पड़ी थी. ग्रामीणों को केस-मुकदमे भी झेलने पड़े हैं. अब नेताजी की नजर चट्टी बरियातू-केरेडारी से कोयला ट्रांसपोर्टिंग पर है. वे चाहते हैं कि टेंडर चाहे कोई भी क्यों न ले ले, लेकिन ट्रांसपोर्टिंग उनकी या उनके चहेतों की कंपनी करेगी. लाभ में 90 प्रतिशत हिस्सेदारी उनकी होगी, बाकी 10 प्रतिशत टेंडर लेनेवाली कंपनी को देंगे. बस इसी चाहत को लेकर वे ग्रामीणों को कोयला ढुलाई नहीं होने देने के लिए उकसा रहे हैं. उन्हें लालच भी दे रहे हैं. नेताजी ग्रामीणों को भरोसा दिला रहे हैं कि उन पर किसी तरह का केस मुकदमा नहीं होने देंगे, जबकि उनके आंदोलन की वजह से ग्रामीणों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था.

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