वन विभाग की लापरवाही से हाथियों को झुंड कभी भी कर सकता है बड़ा हमला,हो सकती है भारी जनहानि
हाथियों के रूठ में एनटीपीसी के अवैध ट्रांस्पोर्टेशन के लिए वैध चालान जारी कर रहा है वन विभाग
हज़ारीबाग़ – हाथियों के झुंड से भटककर बुधवार को जिस प्रकार हज़ारीबाग़ शहर में एक हाथी का प्रवेश हुआ और तीन लोगों की हत्या कर दिया । आम जनजीवन में सहित पूरे शहर में अफरा-तफरी मच गई । वन विभाग काफी सक्रिय दिख रहा है। लोगों को हिदायत जारी कर रहा है। वहीं वन विभाग पर भी गंभीर सवाल उठने लगा है। जिस प्रकार विकास के नाम अवैध कार्य मे वन विभाग अपने ही विभाग के नियम-निर्देश को ताक पर रखकर अवैध कार्यों में सक्रिय है उससे भविष्य में कभी भी बड़ा खतरा हो सकता है। आम लोगों में हाथियों के जंगल से भटक कर मानवीय आबादी में घुसकर हमला किए जाने को लेकर चिंता की लकीरें खींच गई है। आए दिन हाथियों के जंगल से भटक कर मानवीय आबादी में आकर जान-माल,फसल को नुकसान पहुंचाने की घटनाएं बढ़ी हैं। बुधवार को हाथियों द्वारा तीन लोगों की हत्या किए जाने के बाद वन विभाग काफी एक्टिव नजर आ रहा है। जानकारी यह ह कि अगर वन विभाग समय रहते नही चेतता है तो भविष्य में मानवीय,पर्यावरणीय और वन पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। यह बात सामने आई है हाथियों का जंगल से भटक कर मानवीय आबादी में आने की मुख्य वजह वन क्षेत्रों में खनन और अवैध ट्रांस्पोर्टेशन है।
एनटीपीसी का अवैध ट्रांस्पोर्टेशन और वन विभाग की सुस्ती बड़े खतरे को कर रही आमंत्रित
एनटीपीसी के पंकरी बरवाडीह कोल परियोजना में फॉरेस्ट क्लियरेंस के शर्तों में स्पष्ट यह कंडीशन लगाया गया है कि बड़कागांव से बाणादाग रेलवे साइडिंग तक एनटीपीसी को कन्वेयर बेल्ट से कोयला लाना होगा । इसके अलावे वन्य जीवों जिसमें हाथी को गुजरने के लिए 20 फिट ऊंचाई पर कन्वेयर सिस्टम बनाने की शर्त रखी गई थी। वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार चतरा वन प्रमंडल से हज़ारीबाग़ वन प्रमंडल के बीच बड़कागांव से बाणादाग के बीच का जंगली एरिया हाथियों का पासिंग रूठ है। एनटीपीसी कन्वेयर बेल्ट से कोयला परिवहन के साथ सड़क मार्ग से भी कोयला ट्रांस्पोर्टेशन कर रहा है। यही नही बाणादाग रेलवे साइडिंग तक सड़क मार्ग से भारत सरकार के फॉरेस्ट क्लियरेंस की शर्तों और नियम-कानून को धत्ता बताते हुए अवैध तरीके से कोयला परिवहन के लिए हज़ारीबाग़ पश्चिमी वन प्रमंडल द्वारा वैध चालान भी जारी किया जा रहा है । इसके लिए वन विभाग अपने ही विभाग के केंद्रीय मंत्रालय और पश्चिमी वन प्रमंडल के आदेशों-निर्देशों की धज्जियां उड़ा कर सड़क मार्ग से अवैध परिवहन के लिए चालान जारी कर रहा है। वर्ष 2021 में ही वन विभाग ने उक्त क्षेत्र में एक सड़क निर्माण के लिए दिए अनापत्ति आदेश में यह स्पष्ट शर्त रखा है कि हाथियों के आने जाने के लिए सड़क कभी भी बंद किया जा सकता है,क्षेत्र में खुदाई या ढुलाई नही की जाएगी ।
इसके बावजूद अवैध ट्रांस्पोर्टेशन से न सिर्फ मानवीय आबादी बल्कि वन्य जीव,जंगली जानवरों पर गंभीर खतरा उतपन्न हो गया है। सबकुछ जानते हुए भी वन विभाग के साथ जिला-प्रशासन भी एनटीपीसी और उसके परिवहन एजेंसी द्वारा अवैध परिवहन पर जानबूझकर आंख बंद किए हुए हैं।
पर्यवारण,वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के आदेश-निर्देशों को भी नही मानता पश्चिमी वन प्रमंडल
एनटीपीसी द्वारा सड़क मार्ग से अवैध रूप से ट्रांसपोर्टेशन किए जाने को लेकर हज़ारीबाग़ पश्चिमी वन प्रमंडल भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के आदेशों-निर्देशों की धज्जियां उड़ा रहा है ।
एनटीपीसी के पंकरी बरवाडीह कोयला परियोजना हेतु भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा फॉरेस्ट क्लियरेंस में यह शर्त है कि एनटीपीसी को कन्वेयर वेल्ट से कोयला परिवहन करना है । कन्वेयर बेल्ट नही बनने की स्तिथि में भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के प्रभाव आकलन प्रभाग से एनटीपीसी ने आग्रह किया कि कन्वेयर बेल्ट बनने में विलंब की वजह से सड़क मार्ग से कोयला परिवहन किए जाने को लेकर शर्तों में छूट का आग्रह किया। इसी आधार पर मंत्रालय की ओर से 10 नवम्बर 2020 को 28 जून 2022 तक ही एनटीपीसी को सड़क मार्ग से कोयला परिवहन करने का आदेश निर्गत किया था । इधर एनटीपीसी ने कन्वेयर बेल्ट बना चालू भी कर दिया और मंत्रालय द्वारा सड़क मार्ग से कोयला ट्रांपोर्टेशन के लिए दी गई समयावधि बीत जाने के बाद भी
एनटीपीसी और उसके ट्रांसपोर्ट एजेंसी द्वार सड़क मार्ग से कोयला परिवहन किया जारी है। वन विभाग द्वारा सड़क बनाने के एक एनओसी में भी यह स्पष्ट किया हुआ है कि उक्त जंगल क्षेत्र में किसी तरह कि कोई ढुलाई नही किया जाएगा और हाथियों के विचरण पर वह रास्ता कभी भी बंद किया जा सकता है। इसके बावजूद वन विभाग अवैध ट्रांस्पोर्टेशन के लिए वैध चालान जारी कर रहा है। एनटीपीसी की मनमानी और वन विभाग की सुस्ती का आलम यह था कि वन क्षेत्र में उसने अनाधिकृत सड़क और कोयला ट्रांस्पोर्टेशन सड़क का बोर्ड लगा रखा था। उज्ज्वल दुनिया मे छपी खबर और एक शिकायत पर वन विभाग ने उस बोर्ड को हटाया था और एनटीपीसी के ईडी और ट्रांसपोर्ट एजेंसी पर तीन मामला भी दर्ज किया था।
ट्रांसपोर्टेशन के दौरान हो रही मौत,जंगल और जानवरों के नुकसान से अधिकारी बने हैं अनजान, जनता परेशान
एनटीपीसी और उसके ट्रांसपोर्ट एजेंसी के नियम विरुद्ध अवैध तरीके से सड़क मार्ग से कोयला परिवहन किए जाने के दौरान मानवीय आबादी के साथ जंगली जानवरों, पेड़-पौधों के अस्तित्व पर गंभीर खतरा उतपन्न हो गया है। सड़क मार्ग से कोयला परिवहन के दौरान दुर्घटना में कई लोगों की जान गई है। जंगली (जानवरों विशेषकर हाथी) के जंगल से भटक कर मानवीय आबादी में आने की घटनाएं बढ़ गई हैं। हाथियों से भी लोगों की जान को खतरा और फसलों का नुकसान होता है ।
जंगल मे पेड़-पौधों पर कोयले की डस्ट से मोटी छाई बन गई है। इलाके में पड़ने वाले गांव के लोगों में बीमारियां बढ़ गई हैं। यह सब जानते हुए भी जिले के जिम्मवार अधिकारी मौन धारण कर इन खतरों से अनजान बने हुए हैं । इसको लेकर मंटू सोनी की तरफ से पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता नवेन्दु कुमार ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को शिकायत किया था । जिसके बाद मानवाधिकार आयोग ने राज्य मानवाधिकार आयोग को वाद चलाने का निर्देश दिया है।