Saturday, November 23, 2024

दिल्ली स्थित BBC कार्यालय में IT का छापा, कम्प्यूटर सिस्टम को लिया कब्जे में

दिल्ली स्थित BBC कार्यालय में IT का छापा, कम्प्यूटर सिस्टम को लिया कब्जे में

बीबीसी के दिल्ली के दफ्तर में इनकम टैक्स की टीम की छापामारी जारी है। साथ ही कंपनी में काम करने वाले सभी कर्मचारियों के फोन जब्त किए जाने की भी खबरें आ रही हैं. सूत्रों के हवाले से बात करें तो कर्मचारियों को ऑफिस से बाहर जाने से रोका जा रहा है. दफ्तर को सील किया जा रहा है। इसके साथ ही ऑफिस में मौजूद कंप्यूटर सिस्टम को कब्जे में लिया जा रहा है और उन सिस्टम के पासवर्ड भी लिखवाए जा रहे हैं. सूत्रों के हवाले से आ रही खबरें बता रही हैं कि लंदन में मौजूद BBC के मुख्यालय को भी सूचना दी गई है. खबर है कि मुंबई में भी एक परिसर में IT विभाग की दिल्ली टीम का सर्वे चल रहा है. वहां Bandra Kurla Complex BKC में बीबीसी का ऑफिस है. छापे को लेकर अभी और डीटेल्स आनी बाकी हैं.

छापामारी पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया

छापे पर कांग्रेस की भी प्रतिक्रिया आई है, कांग्रेस ने कहा है। “पहले BBC की डॉक्यूमेंट्री आई, उसे बैन किया गया, अब BBC पर IT का छापा पड़ गया है। यह अघोषित आपातकाल”

क्या कहा था गृहमंत्री अमित शाह ने

छापा 14 फरवरी को प्रसारित हुए अमित शाह के इंटरव्यू के प्रसारित होने के कुछ देर बाद ही पड़ा है। इस बातचीत में भी अमित शाह ने विवादित डॉक्यूमेंट्री को लेकर कहा था, “हजारों साजिशों के बाद भी सच्चाई उभर कर बाहर आता रहा है, वो मोदी के पीछे 2002 से हैं। लेकिन हर बार मोदी जी और मजबूत और लोकप्रिय होकर सामने आते हैं.”

कई बार विवादों में आया है बीबीसी

बीबीसी कई बार विवादों में रह है। फिलहाल बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री “इंडिया – द मोदी क्वेश्चन” को लेकर देश भर में बहस है. दो एपिसोड वाली इस डॉक्यूमेंट्री में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजनीतिक सफर को दिखाया गया है. फिल्म पर विवाद इसलिए हो रहा है क्योंकि इसमें 2002 के गुजरात दंगों के दौरान नरेंद्र मोदी की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं. उस दौरान मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे. हालांकि ये डॉक्यूमेंट्री भारत में रिलीज नहीं हुई है. भारत सरकार ने इस डॉक्यूमेंट्री को ‘प्रोपेगैंडा पीस’ बताया था. पहला हिस्सा रिलीज होने के बाद ही सरकार ने डॉक्यूमेंट्री के लिंक्स को ट्विटर और यूट्यूब से हटाने के निर्देश जारी किए थे.

उस वक्त विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था- “ये एक प्रोपेगेंडा का हिस्सा है. यह झूठे नैरेटिव को बढ़ाने का एक मात्र हिस्सा है. इसके पीछे क्या एजेंडा है, यह सोचने को मजबूर करता है. इसमें पूर्वाग्रह, निष्पक्षता की कमी और औपनिवेशिक मानसिकता साफ-साफ झलक रही है. इसमें कोई वस्तुनिष्ठता नहीं है.”
दो एपिसोड वाली इस डॉक्यूमेंट्री का पहला हिस्सा 17 जनवरी को रिलीज हुआ. वहीं दूसरा एपिसोड 24 जनवरी को प्रसारित हुआ.

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