Saturday, November 23, 2024

हज़ारीबाग़: सर्वजन पेंशन योजना के तहत एक लाख 18 हजार 447 लाभुकों को मिल रही मासिक पेंशन

हज़ारीबाग़: सर्वजन पेंशन योजना के तहत एक लाख 18 हजार 447 लाभुकों को मिल रही मासिक पेंशन

हर माह के प्रथम सप्ताह लाभुकों के खाता में मिल रही पेंशन राशि

हजारीबाग: मुख्यमंत्री, झारखण्ड हेमंत सोरेन की अतिमहात्वकांक्षी योजना जिसे सर्वजन पेंशन योजना के नाम से जाना जाता है, योजना जून 2022 में लागू हुई। इस योजना को लागू होने के बाद हजारीबाग जिला में अब तक कुल 1,18,447 लाभुक इस नई पेंशन योजना से जुड़ चुके हैं, जिसमें मुख्यमंत्री राज्य वृद्धावस्था पेंशन योजना के 79,712, मुख्यमंत्री राज्य निराश्रित महिला सम्मान पेंशन योजना के 17,140, स्वामी विवेकानंद निःशक्त स्वावलंबन प्रोत्साहन योजना के 20,042, मुख्यमंत्री राज्य आदिम जनजाति पेंशन योजना के 641 और एचआईवी/एड्स पीड़ित सहायतार्थ पेंशन योजना के 912 लाभुक शामिल हैं।
*सभी योग्य को पेंशन दे रही है राज्य सरकार*

माननीय मुख्यमंत्री महोदय की यह दूरदर्शी सोच का परिणाम है कि समाज के प्रत्येक योग्य लाभुक को पेंशन योजना से जोड़ा जा रहा है। इसके लिए सबसे पहले बीपीएल की बाध्यता को समाप्त किया गया। अब समाज का कोई भी व्यक्ति जो 60 वर्ष या इससे अधिक उम्र का वृद्ध हो तथा अन्य पेन्शन धारक नहीं हो, समाज की कोई भी परित्यक्त महिला/विधवा/निराश्रित हो, दिव्यांग, आदिम जनजाति का हो, एचआईवी पीड़ित हो, उसे राज्य सरकार पेंशन दे रही है। महीने के पहले सप्ताह में ही पेंशन का भुगतान लाभुक के खाते में किया जा रहा है।

21 वर्षीय लाभुक जानकी कुमारी, डाडी प्रखण्ड, बालसागरा गांव के एवं 68 वर्षीय मैना बिरहोरिन चालकुशा प्रखण्ड के बरियाऊं ग्राम के आदिम जनजाति पेंशन योजना के लाभुक का कहना है कि पेंशन का पैसा से बहुत मदद मिल जाता है, हमारे पास रोज़गार की कमी है, जंगल से गुजारा नहीं हो पाता है। पेंशन से मिले पैसा से अपना ज़रूरत का सामान खरीदने में हमारी मदद मिल जाती है।
स्वामी विवेकानन्द निःशक्त पेंशन योजना से बरही, गौरिया कर्मा के लाभुक सुनैना देवी बताती है कि शारीरिक रूप से विकलांग महिला हूं, आर्थिक रूप से भी दूसरे लोगों पर निर्भर रहना पड़ता था, परन्तु हेमंत सरकार की पहल से बड़ी आसानी से मेरा पेंशन चालू हो गया, नियमित रूप से पेंशन मेरे बैंक खाता में 1,000 रुपया मिल जाता है।
41 वर्षीय विधवा रेखा मसोमात, रसोईया धमना, बरही बताती है पति के आकस्मिक निधन के बाद हमारी आर्थिक स्थिति खराब हो गई थी। किसी तरह मजदूरी कर गुजारा हो पता था। सरकार की इस पहल के बाद मेरा विधवा पेंशन बहुत आसानी से बन गया। हर महीने मिलने वाली राशि से घर चलाने में मदद मिल जाती है।
वृद्धा पेंशन के लाभुक इचाक प्रखंड के 66 वर्षीय मोती लाल मांझी और 71 वर्षीय सत्य नारायण सिंह कहते हैं बुढ़ापे में हज़ार रुपए मिलने से बुढ़ापे में दूसरे पर निर्भरता कम हुई है। दवा से लेकर अन्य जरूरत के लिए हमारी मदद मिल जाती है।

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