एनटीपीसी द्वारा सौ एकड़ में अवैध खनन मामले में केंद्र ने राज्य सरकार को कार्रवाई का दिया निर्देश
पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता नवेन्दु कुमार के नोटिस पर केंद्र ने लिया एक्शन
धरना को धंधा और आंदोलन को आमदनी बनाने वाले अपना क्रेडिट लेने की फिराक में लेकिन अवैध ट्रांस्पोर्टेशन पर चुप क्यों ?
The Johar times exclusive
हज़ारीबाग़ – भारत सरकार की महारत्न कंपनी एनटीपीसी और उसके एमडीओ त्रिवेणी-सैनिक माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड द्वारा पंकरी बरवाडीह कोल परियोजना अंतर्गत क्षेत्र में सौ एकड़ एरिया में अवैध खनन के मामले में दोषियों की मुश्किलें बढ़ने वाली है। केंद्र सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है । मंटू सोनी के लिए पटना हाईकोर्ट के सीनियर अधिवक्ता नवेन्दु कुमार के नोटिस पर झारखंड के प्रधान सचिव (फॉरेस्ट) को भारत सरकार के असिस्टेंट इंस्पेक्टर जेनरल ऑफ फॉरेस्ट ने एनटीपीसी द्वारा अवैध खनन मामले पर नियम-कानून और निर्देशों के अनुसार कार्रवाई का निर्देश दिया है।
*मंटू सोनी ने अवैध खनन का किया था खुलासा,केंद्र से किया था शिकायत*
एनटीपीसी और उसके एमडीओ त्रिवेणी-सैनिक माईनिंग इससे पहले बड़कागांव के मंटू सोनी ने एनटीपीसी,त्रिवेणी-सैनिक माईनिंग प्राइवेट लिमिटेड द्वारा जीवनरेखा दुमुहानी नदी को नष्ट कर सौ एकड़ में अवैध खनन का खुलासा किया था। इसको लेकर केंद्र सरकार से शिकायत किया था। शिकायत के बाद जांच रिपोर्ट में झारखंड सरकार ने भी अवैध खनन की पुष्टि करते हुए कार्रवाई के लिए केंद्र सरकार द्वारा निर्देश मिलने की बात बताया था। अब केंद्र ने भी राज्य सरकार को कार्रवाई का निर्देश दे दिया है और रिपोर्ट की मांग किया है।
*धरना को धंधा और आंदोलन के नाम आमदनी करने वाले क्रेडिट लेने की फिराक में लेकिन अवैध ट्रांस्पोर्टेशन पर चुप क्यों ?*
एनटीपीसी और त्रिवेणी-सैनिक माईनिंग लिमिटेड द्वारा दुमुहानी नाला को नष्ट कर सौ एकड़ में अवैध खनन के खुलासे और केंद्र द्वारा कार्रवाई के निर्देश के बाद धरना को धन्धा और आंदोलन को आमदनी का जरिया बनाने वाले भी अपना क्रेडिट लेने को फिराक में लग गए हैं। उस नेता के द्वारा मैं और मेरी सरकार द्वारा कार्रवाई की बात कहते सुना जाता है। लेकिन अवैध ट्रांस्पोर्टेशन और अवैध ट्रांस्पोर्टेशन के दौरान दो लोगों की मौत पर एक शब्द भी नही निकलता । जिस्क्स बारे में यह कहा जा रहा है कि अवैध ट्रांस्पोर्टेशन में अपना हित जुड़ा हुआ है। इसलिए अवैध ट्रांस्पोर्टेशन के दौरान होने वाली दुर्घटना के बाद पीड़ित परिवार को या तो मुआवजा दिलाने की बात की जाती है या अवैध ट्रांस्पोर्टेशन के लिए बाईपास सड़क बनाने की बात की जाती है। वहीं चट्टी बरियातू में ट्रांस्पोर्टेशन के मामले में भाषा और तेवर दूसरा नजर आता है । उस नेता के इस दोहरे रवैये की चर्चा जिले से लेकर प्रदेश स्तर में होने लगी है।