शुरू होने वाला है आषाढ़ माह , जाने कब से हो रही शुरुआत
आषाढ़ महीने की शुरुआत 5 जून से हो रही है. कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 4 जून को सुबह 9 बजकर 11 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 5 जून को सुबह 6 बजकर 38 मिनट पर होगा. उदया तिथि 5 जून सोमवार से शुरू होगी इसी के साथ आषाढ़ महीने की शुरुआत हो जाएगी.
आषाढ़ महीने का धार्मिक महत्व
आषाढ़ महीने में भोलेनाथ और श्रीहरि की पूजा करनी चाहिए. दोनों देवों की पूजा करने से जीवन के कई कष्ट दूर हो जाते हैं. जो मनुष्य आषाढ़ की योगिनी एकादशी का व्रत रखता है उसको 88 हजार ब्राह्मणों को खाना खिलाने और गाय को खाना खिलाने के बराबर पुण्य मिलता है. इस महीने में गुरु पूजा और गुरु सेवा का भी खास महत्व है.आषाढ़ महीने में अमावस्या, एकादशी और पूर्णिमा के दिन ब्राह्मणों को खाना खिलाकर उनको दान में छाता, फल, खड़ाऊं, कपड़े और मिठाई देनी चाहिए.
इन उपायों से पाएं देवी-देवताओं का आशीर्वाद
हिंदू मान्यता के अनुसार आषाढ़ मास बहुत महत्वपूर्ण है। इस महीने में कुछ उपाय किये जाए तो बीमारी और पैसे की दिक्कत से भी छुटकारा मिलता है।
ये माह विष्णु भगवान् को समर्पित है और विष्णु भगवान् की पूजा अर्चना से भक्तों के जीवन में सुख समृद्धि आती है। जिनके ऊपर कालसर्प का दोष है उनके लिए ये महीना वरदान है क्योंकि इस मास में शिव के ऊपर जलाभिषेक करने से कालसर्प दोष ख़त्म हो जाता है।
जो जातक अस्वस्थ रहते हैं वो अगर सूर्य को जल दें तो निरोग हो जाते हैं। साथ ही साथ पूर्वजों को प्रसन्न करने के लिए भी ये मास काफी फलदायी होता है। इस पवित्र आषाढ़ मास की महत्ता को देखते हुए आइये आपको हम बताते हैं कि ऐसा क्या क्या करें जिससे विष्णु प्रसन्न हों और सुख समृद्धि मिले।
आषाढ़ मास 2023 कब से शुरू
हिंदू धर्म के पंचांग के अनुसार, इस साल आषाढ़ मास की शुरुआत 5 जून सोमवार से होगी।
आषाढ़ माह में इन उपायों से आएगी सुख समृद्धि
वैसे तो ये मास भगवान् विष्णु को समर्पित है किन्तु शिव की भी पूजा की जाए तो विशेष फल मिलता है इसलिए विष्णु और शिव दोनों की पूजा-आराधना करें।
आषाढ़ मास में सूर्योदय से पूर्व स्नान कर लेना चाहिए। इस पवित्र महीने में सुबह सुबह स्नान करने से शारीर निरोगी रहता है और देवतागण प्रसन्न होते हैं।
सुख समृद्धि के लिए ये अवश्यक है कि हमारे पूर्वज हमसे प्रसन्न हों। आषाढ़ मास में पिंडदान और तर्पण करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं इसलिए इस मास में तर्पण और पिंडदान का विशेष महत्व है।
जिनकी कुंडली में मंगल और सूर्य की दशा सही नहीं होती है उन्हें बहुत सारे कष्टों का सामना करना पड़ता है। ऐसे लोगों के लिए आषाढ़ मास वरदान है। इस मास में हनुमान जी, सूर्य देव और माँ अम्बा भवानी की पूजा करने से कुंडली में सूर्य और मंगल की स्थिति ठीक हो जाती है।
जो लोग कालसर्प दोष से परेशान हैं उनके लिए भी आषाढ़ मास काफी फायदेमंद है। इस मास में शिव का जलाभिषेक करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
सूर्य देव को प्रसन्न करने और उनसे विशेष कृपा पाने के लिए आषाढ़ मास बहुत उपयोगी है। आषाढ़ मास में सूर्य देव को जल अर्पित करना चाहिए। इससे शरीर निरोगी होता है और कार्य में प्रगति होती है।
नोट: यह सूचना इंटरनेट पर उपलब्ध मान्यताओं और सूचनाओं पर आधारित है। लेख से संबंधित किसी भी इनपुट या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी और धारणा को अमल में लाने या लागू करने से पहले कृपया संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।