बालासोर ट्रेन हादसा: जिंदा व्यक्ति को मुर्दा समझ कर लाशों की ढेर पर रख दिया
हाथ हिलाने पर पता चला कि वह जिंदा है
एक कहानी पिता की जुबानी…..
बालासोर ट्रेन हादसे के बाद जल्दबाजी में बजाव राहत कार्य में जुटे लोगो से मानवीय भूल हो गई जिसका परिणाम एक पिता को भारी परेशानी झेलने पड़ी हुआ क्योंकि हेलाराम मलिक का बेटा बिश्वजीत दो जून को सांतरागाछी से कोरोमंडल ट्रेन में चेन्नई जाने के लिए बैठा। विश्वजीत ने पिता ने करीब 7:30 बजे फोन किया कि ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो गई है और वह गंभीर रूप से घायल हो गया है। उसके के बाद वह बेहोश हो गया।’
बचाव कार्य में जुटे लोग उसे मरा हुआ समझकर बालासोर स्कूल में बनाए मुर्दाघर में रख दिया गया और उसके ऊपर कई लाशें रख दी गईं। घंटो बाद जब उसे होश आया तो उसने अपना हाथ हिलाया। लोगों ने देखा कि वह जिंदा है तत्काल उसे हॉस्पिटल ले गए। पिता भी फोन के बाद उसे ढूंढने पहुंच गए थे। आखिरकार पिता को बेटा बालासोर हॉस्पिटल में मिला। बेटा को देख पिता फफक उठा और बोल बैठ
मेरे लिए बहुत ख़ौफ़नाक मंजर था, क्योंकि मैं अपने बेटे को सदा के लिए खो सकता था । मेरा बेटा दो साल बाद घर लौटा था। और वह 15 दिन तक हमलोग के साथ रहा और फिर चला गया। वह दोबारा जाएगा या नहीं, यह उसकी मर्जी होगी। लेकिन पिता होने के नाते मैं उसे यही सलाह दूंगा कि वह अब नौकरी करने बाहर न जाए।’