सिल्ली प्रखण्ड के बड़ाचांगडू पंचायत के अड़ाल नवाडीह गाँव में छुआछूत जैसा कोई मामला नहीं
ग्रामीणों ने कहा- ऊंची जाति या दलित जैसी कोई भावना नहीं, छुआछूत का किया खंडन
ग्रामीण आपसी मेल जोल के साथ सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों में होते हैं सहभागी
गर्मी के कारण कुएँ का जलस्तर कम होने के कारण ग्रामीणों को हुई परेशानी
दैनिक अखबार में सिल्ली का ‘नवाडीह गाँव यहाँ सभी कुएँ ऊँची जातिवालों के दलित नहीं भर सकते हैं पानी’ शीर्षक के साथ प्रकाशित हुई थी खबर
निजी कुँआधारियों ने लिखित में दिया पानी लेने हेतु किसी भी समुदाय को नहीं रोकेंगे
ग्रामीणों को जलापूर्ति के लिए जिला प्रशासन ने कराया बोरिंग
वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में ग्रामीणों को टैंकर से भी उपलब्ध कराया जा रहा है पानी
दिनांक 02 जून 2023 के एक दैनिक अखबार में सिल्ली का ‘नवाडीह गाँव यहाँ सभी कुएँ ऊँची जातिवालों के दलित नहीं भर सकते हैं’ पानी शीर्षक के साथ खबर प्रकाशित किया गया था। इस संबंध में उपायुक्त रांची के निदेशानुसार स्थल जाँच किया गया, जिसमें निम्न बिन्दु पाए गए:-
यह मामला सिल्ली प्रखण्ड के बड़ाचांगडू पंचायत के अड़ाल नवाडीह गाँव घटित हुई है। ’नवाडीह गाँव में कुल नौ टोला है, जिसमें लगभग 370 परिवार रहते हैं।
नवाडीह ग्राम में मूलतः महतो, मुण्डा, लोहरा, प्रमाणिक, महली, मुखियार, इत्यादि सामाजिक समूह के लोग निवास करते हैं। उक्त घटना के समय तक सभी लोग आपसी मेल-जोल से साथ-साथ रहते आए हैं एवं सभी तरह के सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सामूहिक रूप से सहभागी होते आए हैं।
दैनिक समाचार पत्र में छपी घटना चट्टान टोली की है, जिसमें तीन लोहरा परिवार के लोग रहते हैं। प्रकाशित खबर के अनुसार 21वीं सदी के इस मौजूदा दौर में भी हमारा समाज छुआछूत और अंधविश्वास से उबर नहीं पा रहा है। इन परिवारों को गाँव में रहने वाले तथाकथित ऊँची जाति के लोगों के कुएँ से पानी भरने की मनाही है। इन लोगों को ऊँची जाति के लोगों से माँग कर पानी पीना पड़ता है। साथ ही दैनिक समाचार पत्र में खबर छपी कि पीड़ित परिवार के टोले में न कोई कुँआ है न ही सोलर से चलने वाला ट्यूबवेल लगाया गया है।
मामले की स्थलीय जाँच के क्रम में गाँव का भ्रमण किया गया एवं सभी पक्षों के साथ बैठक की गई। सभी पक्षों की बातों को सुना गया। सभी तथ्यों को सुनने एवं पड़ताल के उपरांत खबर में छपी छुआछूत ‘अंधविश्वास’ ‘ऊची जाति’ ‘लोहरा (दलित) जैसे शब्द भ्रामक एवं उन्माद फैलाने वाले प्रतीत होते हैं। यह घटना महतो एवं लोहरा जाति के बीच की है, जिसमें ऊंची जाति या दलित जैसी कोई भावना नहीं है। जाँचोपरांत पता चला कि दोनों समूह झारखण्ड राज्य की जातियों की सूची पिछड़ी जाति (बीसी एनेक्सचर-1) में दर्ज है। ग्रामीणों ने भी छुआछूत जैसी बातों का खण्डन किया एवं उनके द्वारा बताया गया कि समाज के लोग सभी सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों में एक साथ सहभागी होते हैं।
स्थलीय जाँच में पता चला कि मूलतः यह समस्या पानी की किल्लत को लेकर उठी। अधिकांश कुएँ निजी जमीन पर बने हैं, जिसमें कुछ लोगों द्वारा अन्य लोगों को पानी भरने नहीं दिया जाता है क्योंकि गर्मी के कारण कुएँ का जलस्तर कम हो गया है। भ्रमण के दौरान 5-6 सरकारी कुएँ पाये गये, जो साफ सफाई के अभाव में या तो सूख गए हैं या पानी गंदा हो गया है।
खबर प्रकाशित होने के उपरांत जल संबंधी समस्या का निरीक्षण सहायक अभियंता, पेयजल एवं स्वच्छता प्रशाखा, अनगडा एवं कनीय अभियंता पेयजल एवं स्वच्छता प्रशाखा, सिल्ली के द्वारा किया गया। सर्वेक्षण के उपरांत खराब पड़े चापाकल की मरम्मत एवं पुराने जलमीनार की मरम्मत तत्काल करा दी गई। सम्पूर्ण गाँव को एसवीएस से जलापूर्ति हेतु अच्छादित करने के लिए स्वीकृत योजना के तहत कार्य प्रारंभ करा दिया गया है एवं विभाग द्वारा अतिशीघ्र बोरिंग कराने का निर्णय लिया गया है।
पानी की समस्या की समाधान के लिए नवाडीह गांव में जिला प्रशासन द्वारा बोरिंग
भी कराया गया है। वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में टैंकर से पानी भी उपलब्ध कराया जा रहा है। साथ की निजी कुँआधारियों द्वारा बैठक कर सर्वसम्मति से लिखित में दिया गया है कि कोई भी निजी कुँआधारी पानी लेने हेतु किसी भी समुदाय को नहीं रोकेंगे। मुखिया, ग्राम प्रधान, पंचायत सेवक, रोजगार सेवक, जल सहिया, आँगनबाड़ी सेविका आदि सरकारी कर्मियों को स्थिति पर निगरानी रखते हुए सभी सरकारी सुविधा सभी को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया।