मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से उनके अंडमान निकोबार प्रवास के दौरान आज अंडमान और निकोबार में रहने वाले झारखंड के आदिवासी मूलवासी श्रमिकों के प्रतिनिधि मंडल ने की मुलाकात_
मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को बताया- प्रवासी श्रमिकों के हित और कल्याण के लिए राज्य सरकार चला रही कई योजनाएं
प्रतिनिधिमंडल ने कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान झारखंड के श्रमिकों के सकुशल वापसी के लिए मुख्यमंत्री का जताया आभार_
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के अंडमान निकोबार प्रवास के दौरान उनसे आज वहां रह रहे झारखंड के आदिवासियों- मूलवासियों के एक_ प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की। उन्होंने मुख्यमंत्री को अंडमान निकोबार द्वीप समूह में रोजगार और अन्य विषयों से संबंधित अनुभवों को साझा किया। उन्होंने मुख्यमंत्री को बताया कि कई दशकों से झारखंड के अलग-अलग क्षेत्रों से श्रमिक यहां मजदूरी करते आते रहे हैं। इनमें से कई अंडमान और निकोबार प्रशासन के पुनर्वास योजनाओं के तहत यहां बस चुके हैं। इनमें से अधिकांश श्रमिक निर्माण कार्य से जुड़े हैं।
कई मुद्दों पर चर्चा
प्रतिनिधिमंडल ने अंडमान-निकोबार मुख्यमंत्री के साथ सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और शैक्षिक विकास, लोगों के लिए पारगमन आवास, हवाई किराए में वृद्धि आदि से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा की। इस मुलाकात के दौरान उन्होंने अपनी कुछ मांगो से मुख्यमंत्री को अवगत कराया। प्रतिनिधिमंडल ने कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान अंडमान- निकोबार में फंसे झारखंड के 180 प्रवासी श्रमिकों को एयर लिफ्ट करा कर उनके सकुशल घर वापसी कराने के लिए मुख्यमंत्री का आभार जताया।
प्रवासी श्रमिकों के कल्याण के लिए कई योजनाएं
मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को बताया कि प्रवासी श्रमिकों के हित में राज्य सरकार द्वारा कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। इस सिलसिले में प्रवासी मजदूरों के लिए “मुख्यमंत्री झारखंड प्रवासी श्रमिक दुर्घटना कोष” बनाया गया है। साथ ही यह भी बताया कि यहां से जो भी श्रमिक/ व्यक्ति काम करने दूसरे देशों में जाते हैं, उनके लिए भी “मुख्यमंत्री अंतरराष्ट्रीय प्रवासी श्रमिक अनुदान योजना” चला रही है । झारखण्ड से बाहर प्रवास करने वाले लोगों की मदद के लिए भी राज्य सरकार द्वारा सेफ एंड रिस्पांसिबल माइग्रेशन इनीशिएटिव की शुरुआत की गयी है। इसके तहत प्रवासी श्रमिकों के व्यवस्थित पंजीकरण को सक्षम करने, डेटाबेस की निगरानी और विश्लेषण की भी व्यवस्था की गई है। सुरक्षित और जिम्मेदार प्रवास पर प्रथाओं के बारे में अभियानों के माध्यम से जागरूकता पैदा किया जा रहा है।
राज्य प्रवासी मजदूर नियंत्रण कक्ष की भी स्थापना_
मुख्यमंत्री ने बताया कि श्रम रोजगार प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग द्वारा राज्य प्रवासी मजदूर नियंत्रण कक्ष की शुरुआत की गई है। वर्तमान में यह कंट्रोल रूम प्रवासी मजदूरों के लिए 24 घंटे 7 दिन हेल्पलाइन की तरह काम कर रहा है ।
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के अंडमान निकोबार प्रवास के दौरान उनसे मुलाकात करने वाले रांची एसोसिएशन, पोर्ट ब्लेयर के प्रतिनिधिमंडल में अध्यक्ष श्री फेयानुस टोप्पो, उपाध्यक्ष श्री सुमन लाकड़ा, महासचिव एड. प्रकाश मिंज, सचिव सेबेस्टियन तिर्की, फूल कुमार, संयुक्त सचिव सुनील मिंज, अनिल टोप्पो एवं अन्य मौजूद थे।
जातपात नहीं है मुद्दा – नवाडीह के अधिकांश कुएं निजी भूमि पर, गर्मी के कारण कुएं का जलस्तर कम होना बना पानी नहीं देने का कारण
जातपात को लेकर प्रसारित की गई बातों को नवाडीह के ग्रामीणों से सिरे से खारिज किया
बोरिंग कराया गया, टैंकर से भी मिल रहा पानी
रांची
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के आदेश के बाद सिल्ली प्रखण्ड के बड़ाचांगडू पंचायत के अड़ाल नवाडीह गांव का रांची जिला प्रशासन ने दौरा किया। मुख्यमंत्री को जानकारी मिली थी कि यहां सभी कुएं ऊंची जातिवालों के हैं जहां दलित पानी भर नहीं सकते हैं। मुख्यमंत्री का आदेश मिलते ही उपर्युक्त विषय के संबंध में स्थल जांच किया किया गया।
ग्रामीणों ने छुआछूत जैसी बातों का किया खण्डन
उपरोक्त मामले की स्थलीय जांच के क्रम में गांव का भ्रमण किया गया एवं सभी पक्षों के साथ बैठक की गई। सभी पक्षों की बातों को सुना गाय। सभी तथ्यों को सुनने एवं पड़ताल के उपरांत “छुआ-छूत’ “अधविश्वास” “ऊची जाति” “लोहरा (दलित) जैसे शब्द भ्रामक एवं उन्माद फैलाने वाले प्रतीत होते हैं। यह घटना महतो एवं लोहरा जाति के बीच की है, जिसमें “ऊची जाति या ‘दलित’ जैसी कोई भावना नहीं हैं। जांचोपरांत पता चला कि दोनों समूह झारखण्ड राज्य की जातियों की सूची पिछड़ी जाति ( BC Annexure-1) में दर्ज है। ग्रामीणों ने भी छुआछूत जैसी बातों का खण्डन किया एवं उनके द्वारा बताया गया कि समाज के लोग सभी सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों में एक साथ सहभागी होते है।
समस्या पानी की किल्लत को लेकर हुई, पेयजल की व्यवस्था के कार्य शुरू
स्थलीय जांच में पता चला कि मूलतः यह समस्या पानी की किल्लत को लेकर उठी। अधिकांश कुएं निजी जमीन पर बने है, जिसमें कुछ लोगों के द्वारा अन्य लोगों को पानी भरने नहीं दिया जाता है क्योंकि गर्मी के कारण कुएं का जलस्तर कम हो गया है। भ्रमण के दौरान सरकारी कुएं चिन्हित हुए, जो साफ सफाई के अभाव में या तो सूख गए है या पानी गंदा हो गया है। जल संबंधी समस्या का निरीक्षण सहायक अभियंता, पेयजल एवं स्वच्छता प्रशाखा, अनगड़ा एवं कनीय अभियंता पेयजल एवं स्वच्छता प्रशाखा, सिल्ली के द्वारा किया गया। सर्वेक्षण के उपरांत खराब पड़े चापाकल की मरम्मति एवं पुराने जलमीनार की मरम्मति तत्काल करा दी गई। सम्पूर्ण गांव को SVS से जलापूर्ति हेतु अच्छादित करने के लिए स्वीकृत योजना के तहत कार्य प्रारंभ करा दिया गया है एवं विभाग द्वारा बोरिंग भी कराया गया है। वर्त्तमान में वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में टैंकर से पानी उपलब्ध कराया जा रहा है साथ ही, निजी कुएं से भी पानी लेने पर सहमति बनी है।