मानसून में सर्पदंश की घटनाएं बढ़ जाती है और इस बरसात के मौसम में सबसे ज्यादा सर्पदंश का जिम्मेदार सांप कोई है तो वो है👉 करैत
तो आइए जानते हैं इस सांप की पहचान, इसकी प्रकृति और इससे बचने के उपाय…
कॉमन_करैत common_krait
(Bungarus caeruleus)☠️
यह पूरे भारतवर्ष में हर जगह पाया जाता है। यह एशिया का सबसे जहरीला, घातक या विषैला सांप है। यह भारत में पाए जाने वाले 4 सर्वाधिक विषैले (नाग, करैत, फुर्सा और दबोइया) सांपो की प्रजातियों का सदस्य है।
इसकी पहचान इसके काला या बैंगनी चमकीला शरीर, इंसानी अंगूठे की तरह इसका सर, आंखे छोटी और गहरी काली, गर्दन पर कुछ सफेद डॉट्स, गर्दन से कुछ दूरी से पूरे शरीर से लेकर पूंछ तक दूधिया सफेद रंग की 2 पतली धारियां जोड़े में, निचला शरीर सफेद रंग, व इसके गुलाबी जीभ से की जा सकती है।
यह एक मध्यम आकार का सांप है जिसकी औसत लंबाई 3 से साढ़े 3 फीट तथा अधिकतम लंबाई 4 से साढ़े 4 फीट तक होती है। यह एक (terrestrial) स्थलीय जीव है, पर कभी कभी इसे किसी पुराने पेड़ों या दीवारों पर अपने शेल्टर या शिकार की तलाश में चढ़ते हुए देखा जा सकता है।
यह एक (highly nocturnal) रात्रिचर सांप है, मध्य रात्रि से लेकर सूर्योदय से पहले तक सक्रिय रहता है। इसके सर्पदंश का शिकार अक्सर किसान लोग होते हैं जो खेतों में रात के वक्त पानी लगाने जाते हैं और प्रॉपर टॉर्च, या लाइट या लॉन्ग शूज न होने के कारण ये सांप उन्हे बड़ी आसानी के साथ बाइट कर लेते हैं । और दूसरे वो लोग इसका शिकार बनते हैं जो घरों में, खेतो में, सड़कों में ऐसे ही जमीन पर सो जाते हैं । इस सांप का सबसे बड़ा नुकसान ये है कि जब भी यह किसी को दंश करता है तो इसका दंश बिल्कुल भी पता नही चलता या जरा सा भी दर्द महसूस नहीं होता है दर्द भी इतना कि जैसे कि किसी मच्छर या चींटी ने काटा हो और पीड़ित उस जगह पर थोड़ी सी खुजली कर देता है और सो जाता है। इसके शरीर का रंग विशुद्ध काला होता है जिसके कारण इसे रात में पहचानना मुश्किल हो जाता है इसकी इन्ही सब विशेषताओं कर कारण इसे sillent_killer के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि यह मध्यरात्रि में निकलता है, काले रंग की वजह से दिखाई नहीं देता और जब यह बाइट करता है तो जरा सा भी पता नही चलता अगर किसी ने बाइट करते हुए या बाइट करने के बाद इस सांप को देख लिया तब तो खैरियत है वरना कहते है न की इसका काटा सुबह का सूरज देख नही पाता कहावत चरितार्थ होती है। इसकी यही एक प्रकृति इसे बहुत अधिक खतरनाक बनाती है।
इस सांप की एक और प्रकृति है जिससे यह सांप और खतरनाक होता है👉 क्योंकि यह सांप बाकी सांपो की तरह काटने से पहले किसी भी तरह का कोई चेतावनी नही देता न तो यह वाइपर की तरह हिसिंग साउंड देता है और न ही कोबरा की तरह यह अपना फन फैलाता है।
शिकार 👉 यह सांप मुख्य रूप से एक ओफियोफैगस प्रजाति है, जो अपनी ही प्रजाति सहित अन्य सांपो को खाना पसंद करता है, इसके अलावा मेंढक और छोटे_चूहे इसके पसंदीदा शिकार हैं।
आवास 👉 यह मानव बस्तियों के आसपास, गीली या नमी वाली (पानी का स्रोत जहां हो) जगहों, जहां पर घास होती है, नाली या पानी का किनारा इनके आसपास, जंगल, कृषि क्षेत्र, इन जगहों में यह रहना पसंद करता है।
प्रजनन 👉 यह एक ओविपेरियस सांप है, जिसमे मादा सांप मार्च – जून में 10 से 15 तक की संख्या में किसी गहरे टीलो, दरारों या बिलों में अण्डे देती है।
विष(venom) 👉🏻 इसका विष प्री-सिनेप्टिक न्यूरोटॉक्सिन होता है, जो तंत्रिका तंत्र को निष्क्रिय कर देता है।
लक्षण👉🏻
पेट दर्द, सरदर्द, चक्कर आना, देखने या बात करने में असमर्थता, कमजोरी, उल्टी, दस्त, धीरे धीरे पलक से लेकर पैर तक पस्त हो जाते हैं और अंत में सांस_में_मददगार_पसली_की_मांसपेशियां_लकवाग्रस्त हो जाती है जिससे पीड़ित सांस नही ले पाता और मृत्यु हो जाती है।
👉🏻 सांस न ले पाना, सांप से मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है।
बचाव_के_तरीके 👉 कभी भी जमीन पर न सोएं, हमेशा खाट पलंग पर सोना चाहिए अगर किसी कारणवश आप जमीन पर सो रहे हैं तो मच्छरदानी का उपयोग जरूर करें केवल एक मच्छरदानी के सही उपयोग से आप ना केवल इस सांप से बल्कि दूसरे सांप और कीड़े मकौड़े से भी रात में खुद को और अपने परिवार को बचा सकते हैं। इसके अलावा घर के अंदर तथा घर के बाहर अच्छी रोशनी की अच्छी व्यवस्था हो, घरों के आसपास जो घांस है उसकी कटाई कर दें, घरों के अंदर चूहों के बिलों को , दीवार या कहीं टाइल्स में दरार हो तो उसे सीमेंट से पक्के तौर पर भर दें। न होंगे चूहे और न इन्हें शिकार मिलेगा क्योंकि रोडेन्ट फ्री साफ-सुथरे कमरे सर्पमुक्त घर की गारंटी है।
टीप: 👉🏻सारी सावधानियां रखने के बाद भी अगर सर्पदंश हो जाए तो सीधे अस्पताल जाएं।🙏
सुरक्षा ही बचाव है। ✒️✒️✒️