चंद्रयान 3 से जुड़ी अहम खबर, अगर विक्रम और प्रज्ञान रोवर से नहीं स्थापित हो पाया संपर्क, तो मिशन का क्या होगा?
चंद्रया के दक्षिणी ध्रुव के पास उजाला हो गया है। ऐसे में इसरो की टीम विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर से संपर्क स्थापित करने की कोशिश कर रही, लेकिन अभी तक उनकी ओर से कोई सिग्नल नहीं मिला है। अब लोगों के मन में ये सवाल उठ रहा कि अगर संपर्क नहीं स्थापित हुआ, तो चंद्रयान-3 मिशन का क्या होगा?
इसरो के मुताबिक चांद पर 14 दिन उजाला और 14 दिन की रात होती है। चंद्रयान-3 मिशन को सिर्फ 14 दिनों के लिए डिजाइन किया गया था। उसको जो टॉस्क दिए गए थे, वो पूरे हो चुके हैं। फिर भी दोनों से संपर्क स्थापित करने की कोशिश की जा रही।
वैज्ञानिकों के मुताबिक अगर संपर्क स्थापित हो गया, तो ये मिशन के लिए बोनस साबित होगा। पिछले 24 घंटे से ज्यादा वक्त से इसरो की टीम दोनों को एक्टिव करने के लिए कमांड भेज रही है। ये कोशिश अभी कुछ दिनों तक जारी रहेगी।
इसरो के मुताबिक ये मिशन पूरी तरह से सफल रहा। करीब 10 दिनों में विक्रम और प्रज्ञान ने हर वो टॉस्क पूरा किया, जो उसको दिया गया था। उसने चांद की सतह से जुड़ी कई अहम जानकारियां दी हैं।
वहीं स्लीप मोड में डालने से पहले प्रज्ञान रोवर के सारे पैनल उस दिशा में कर दिए गए थे, जहां सूर्य की रोशनी अच्छी तरह से मिल सके। इसके अलावा उसकी बैट्री को चार्ज कर दिया था। उसने विक्रम लैंडर से करीब 105 मीटर की दूरी तय की है।
कहां से भेजा जा रहा सिग्नल?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चंद्रयान-3 के उपकरणों को जगाने के लिए फ्रेंच गुयाना के कौरौ (Kourou) में स्थित 15 मीटर एंटीना से लगातार सिग्नल भेजे जा रहे हैं। इसको यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने तैयार किया है। हालांकि अभी तक चंद्रयान-3 की ओर से कोई जवाब नहीं मिला है।
रात में होती है भीषण ठंड
चंद्रमा पर रात होते ही तापमान माइनस 200 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। उसका सामना प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर ने किया होगा। इसके अलावा वहां पर उल्कापिंडों की बारिश होती रहती है। फिलहाल दोनों से संपर्क स्थापित करने की कोशिश हो रही, जल्द ही स्पेस एजेंसी इसको लेकर अपडेट देगी।