24 सितम्बर, विश्व नदी दिवस (सितंबर माह के आखिरी रविवार)
भारत में नदियों की एक महत्वपूर्ण भूमिका है। हिन्दू धर्म में नदी को पवित्र माना जाता है। नदियां हमें पीने योग्य पानी, सस्ता परिवहन, बिजली, और आजीविका प्रदान करती है। इसीलिए भारत के लगभग सभी प्रमुख शहर नदी की किनारे स्थित हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों से नदियों में गंदगी बढ़ती ही जा रही है और इनके संरक्षण की जरुरत है। इसी को लेकर जागरुकता फैलाने के लिए विश्व नदी दिवस (World River Day) हर साल सितंबर माह के आखिरी रविवार को मनाया जाता है।
इस दिवस पर ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका, भारत, पोलैंड, दक्षिण अफ्रिका, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया और बांग्लादेश में नदियों की रक्षा को लेकर कई कार्यक्रमों का आयोजन होता है। मालूम हो कि पृथ्वी के 71 प्रतिशत हिस्से में पानी है, जिसमें से 97.3 प्रतिशत पानी पीने योग्य नहीं होकर खारा पानी है। शेष 2.7 प्रतिशत मीठा जल हमें नदियों, झीलों, तालाबों जैसे संसाधनों से प्राप्त होता है। इसलिए विश्व नदी दिवस मनाए जाने की शुरुआत की गई।
विश्व नदी दिवस का इतिहास
सन् 2005 में हमारे जल संसाधनों की बेहतर देखभाल की आवश्यकता के बारे में अधिक से अधिक जागरूकता पैदा करने में मदद करने के लिए सयुंक्त राष्ट्र ने ‘वॉटर फॉर लाइफ डिकेड’ लॉन्च किया। इसके रिस्पांस में ‘मार्क एंजेलो’ द्वारा वर्ल्ड रिवर डे का प्रस्ताव रखा गया। इससे पहले ही ब्रिटिश कोलंबिया में दो दशकों से कैनेडियन लोग ‘ब्रिटिश कोलंबिया रिवर डे’ मनाते थे, जिसको ‘मार्क एंजेलो’ ने ही स्थापित किया था और अब यह नार्थ अमेरिका का एक प्रसिद्ध नदियों के लिए मनाया जाने वाला समारोह बन गया था। इस दिन की सफलता देख सयुंक्त राष्ट्र ने वर्ल्ड रिवर डे मनाने की घोषणा कर दी, जिसे हर साल सितम्बर के चौथे रविवार को मनाया जाता है।
विश्व नदी दिवस का महत्व
जल ही जीवन है और ये पवित्र जल हमें नदियों से ही मिलता है। इसीलिए इन्हें बचाना हर किसी की जिम्मेदारी है। इसके संरक्षण के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए इस दिवस को मनाना बेहद जरुरी है।