पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अध्यक्षता में समिति की पहली बैठक, कई मुद्दों पर चर्चा
पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द की अध्यक्षता में शनिवार को ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ पर गठित कमेटी की पहली बैठक हुई। जिसमें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल समेत अन्य सदस्य मौजूद रहे। इस दौरान कार्य योजना पर चर्चा के साथ हितधारकों से सलाह लेने पर बात की गई। समिति ने कुछ फैसले लिए हैं, जिस पर जल्द ही अमल किया जाएगा।
समिति की ओर मीडिया को भी बैठक की संक्षिप्त जानकारी दी गई। उसके मुताबिक वन नेशन- वन इलेक्शन पर आगे कैसे बढ़ा जाए, इसके रोडमैप पर विस्तार से चर्चा की गई है। इसके अलावा वर्किंग पेपर तैयार करने, हितधारकों से कैसे बातचीत कर सलाह ली जाए, इसके एजेंडे पर भी बात हुई। इसके अलावा एक साथ चुनाव कराने की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय, राज्य दलों को आमंत्रित करने का निर्णय लिया गया है।
इस समिति में वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एन के सिंह भी शामिल हैं। सरकार ने लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी को भी इसका सदस्य बनाया था, लेकिन उन्होंने पैनल का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया।
रिपोर्ट जमा करने की क्या है डेडलाइन?
सरकार ने 2 सितंबर को लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे पर आठ सदस्यीय उच्च-स्तरीय पैनल बनाया था। सरकारी अधिसूचना के मुताबिक पैनल ने तुरंत काम करना शुरू कर दिया है, लेकिन ये अपनी रिपोर्ट कब तक जमा करेगा, इसकी कोई डेडलाइन नहीं है।
विपक्ष कर रहा विरोध
मोदी सरकार के इस फैसले का INDIA गठबंधन विरोध कर रहा है। उन्होंने इसे लोकतंत्र के संघीय ढांचे पर हमला बताया। साथ ही पूछा कि अगर कभी त्रिशंकु विधानसभा हुई या फिर बीच में सरकार गिर गई, तो कैसे चुनाव करवाए जाएंगे। विपक्षी दल इसे ध्यान भटकाने वाला मुद्दा बता रहे हैं।