प्रमोशन के मामले में झारखंड के आला अधिकारियों के सामने फीके पड़े अंचल निरीक्षक, पदोन्नति की राह तकते रिटायर हुए दो दर्जन
रांची-: झारखंड में हक और बराबरी की आवाज हमेशा से बुलंद होते रही है. लेकिन मामला जब अधिकारियों या कर्मियों के प्रमोशन का आता है, तो साफ तौर से सौतेलापन देखा जा सकता है. बड़े अधिकारियों की प्रमोशन की बात हो तो सरकार से लेकर आला अधिकारी हमेशा ही रेस दिखते हैं. लेकिन कनीय अधिकारियों के प्रमोशन की बात जब सामने आती है, तो ऐसा नहीं होता. बात अंचल निरीक्षकों की हो रही है. पिछले दो सालों से अंचल निरीक्षक अपने प्रमोशन की बांट जोह रहे हैं. लेकिन सरकार या आला अधिकारियों को इतनी फुर्सत नहीं है कि आधे घंटे की बैठक कर मामले को रफा-दफा करें. पूछने पर व्यस्तता की बात कहकर बात टाल दी जाती है. ऐसा बीते 20 फरवरी को भी देखने को मिला. दरअसल अंचल निरीक्षकों के प्रमोशन की सारी प्रक्रिया हो चुकी है. आखिरी औपचारिकता जेपीएससी के साथ भू-राजस्व विभाग के सचिव को बैठक कर प्रमोशन पर मुहर लगानी है. लेकिन यह काम दो साल से नहीं हो पा रहा है.
आधा दर्जन कर्मी हो गए रिटायर
अंचल निरीक्षक भी एक प्रशासनिक अधिकारी बन सकते हैं. ऐसी चाहत सभी कर्मी रखते हैं. लेकिन इस चाहत को अपने दिल में लिए करीब 24 अंचल निरीक्षक रिटायर हो गए. इसी साल के जनवरी और फरवरी महीने में दो-दो अंचल निरीक्षक रिटायर हो गए. दो साल के अंदर इनकी संख्या करीब 24 हो चुकी है. आने वाले दिनों में अगर सरकार या भू-राजस्व विभाग इस मामले को गंभीरता से नहीं लेता है तो रिटायर कर्मियों की संख्या में और इजाफा होगा. बताते चलें कि ऐसे करीब 80 अंचल निरीक्षक हैं, जिनका प्रमोशन लंबित है. इनमें काफी संख्या में एससी और एसटी समुदाय से भी हैं. पिछड़ी और अनुसूचित जातियों की हिमायती इस जेएमएम-कांग्रेस और राजद की सरकार में इनका यह हाल है.
20 फरवरी की बैठक टली, अबतक नहीं मिली दूसरी तारीख
बीते 20 फरवरी को प्रोन्नति समिति ही बैठक जेपीएससी के अधिकारियों के साथ होने वाली थी. समिति के सदस्य बैठक में नहीं पहुंचे. इस बैठक में भू-राजस्व के सचिव का होना अहम था. लेकिन वो नहीं आए. पूछे जाने पर रोस्टर क्लियरेंस ना होने की बात कही गयी. जबकि पूर्व सचिव ने रोस्टर क्लियरेंस की अनुमति विभाग को काफी पहले ही दे दी थी. फिर भी रोस्टर क्लियरेंस क्यों नहीं हुआ यह बात विभाग की मंशा को दर्शाता है. वहीं नाम ना बताने की शर्त पर अंचल निरीक्षक कहते हैं कि 2022 में भी रोस्टर तैयार हुआ था. विभाग चाहता तो उसी रोस्टर के मुताबिक प्रमोशन की कार्यवाही पूरी की जा सकती थी. लेकिन ऐसा नहीं किया गया. बात यहीं नहीं रुकती है. 20 तारीख की बैठक कैंसिल होने के बावजूद दस दिन बीतने को है. लेकिन अभी तक विभाग की तरफ से अगली बैठक की तारीख निर्धारित नहीं की गयी है. इस बात से अंचल निरीक्षकों में काफी निराशा है. उनका कहना है कि यही हालात राज्य के दूसरे अधिकारियों के होते, तो उनके साथ अच्छा सलूक होता. जल्द से जल्द प्रमोशन पर मुहर लग जाती. लेकिन अंचल निरीक्षकों के साथ ऐसा नहीं हो रहा है. ऐसा होना वाकई में सरकारी कर्मियों के बीच सौतेलापन का भाव दर्शाता है.