पत्थलगड़ा : शीतलपुर में आदिम जनजाति बिरहोर परिवार में एक महिला का अर्धरात्रि को प्रसव के उपरांत हुई मौत
स्थानीय प्रशासन व स्वास्थ विभाग सरकार के आदेशों का कर रही नजर-अंदाज
मामले की जांच कर दोषियों पर की जाए कड़ी कार्रवाई : विकास यादव, बीस सूत्री प्रखंड अध्यक्ष
समय रहते किया जाता इलाज तो महिला की बच सकती थी जान : ग्रामीण
सुजेक सिन्हा
द जोहार टाइम्स
फोटो-4
चतरा / पत्थलगड़ा प्रखंड क्षेत्र के बरवाडीह पंचायत अंतर्गत शीतलपुर बिरहोर टोला में निवास कर रहे आदिम जनजाति बिरहोर परिवार में एक महिला का अर्धरात्रि को प्रसव के उपरांत मौत हो गई। ज्ञात हो कि बीते रविवार की मध्य रात्रि में शुकर बिरहोर की लगभग 35 वर्षीय गर्भवती पत्नी बबीता देवी को मध्यरात्रि में प्रसव पीड़ा हुई, जिसके बाद अपने घर में ही एक बच्ची को जन्म दिया, प्रसव के बाद महिला की स्थिति बिगड़ने लगी व कुछ ही घंटों के बाद उसकी मृत्यु हो गई। जबकि बच्ची जीवित है। बच्ची को स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष धनंजय तिवारी की उपस्थिति में स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से इलाज हेतु सदर अस्पताल चतरा भेज दिया गया। जहां बच्ची का इलाज चल रहा है। महिला की मौत के बाद सुबह होते ही इस घटना की खबर पूरे प्रखंड में आग की तरह फैल गई। इसके बावजूद प्रखंड के कोई भी पदाधिकारी या स्वास्थ्य विभाग के लोग घटना स्थल पर नहीं पहुंचे, लगभग सुबह आठ बजे के बाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी सीएचओ सरोज मिंज कुछ एएनएम के साथ वहां पहुंची। इस मामले में स्वास्थ्य विभाग की घोर लापरवाही उजागर हुई है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है की समय रहते महिला का इलाज किया जाता तो महिला की जान बच सकती थी। मालूम हो की सरकार आदिम जनजाति बिरहोर को बचाने को लेकर कई योजनाएं चला रही है, लेकिन स्थानीय प्रशासन व स्वास्थ विभाग सरकार के आदेशों का नजरअंदाज कर रही है, जिसके कारण इस तरह की घटना घट रही है। प्रखंड प्रशासन के द्वारा यहां रह रहे बिरहोर परिवारों को चावल-नमक देकर खानापूर्ति किया जाता रहा है। स्थानीय लोगों ने कहा की पत्थलगड़ा में एक भी महिला व पुरुष चिकित्सक नहीं है। जिसके कारण यहां के मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यहां डॉक्टर के नहीं रहने से मरीजों को इलाज हेतु हजारीबाग या अन्य शहरों में जाना पड़ता है। ऐसे में कई गरीब परिवारों ने इलाज के आभाव में अपनी जाने गंवा बैठे हैं। लोगों का कहना है की, काश आज यहां डॉक्टर होता तो बिरहोर महिला की मृत्यु नहीं होती। ग्रामीणों ने स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सा प्रभारी डॉ.सुमित जायसवाल पर नाराजगी जताते हुवे यह आरोप लगाया है की ये कभी भी पत्थलगडा नहीं आते ना ही किसी का फोन रिसीव करते हैं। घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग के द्वारा वहां केवल सीएचओ सरोज मिंज व कई एएनएम पहुंची इसके अलावे कोई भी चिकित्सक नहीं पहुंचे थें। स्वास्थ्य विभाग के इस रवैये से प्रखंड वासियों में काफी नाराजगी देखी जा रही है। स्थानीय लोगों के साथ साथ बीस सूत्री प्रखंड अध्यक्ष विकास यादव ने भी चतरा उपायुक्त से मामले की जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्यवाई की मांग की है।
ज्ञात हो की निवर्तमान प्रखंड विकास पदाधिकारी मोनी कुमारी के द्वारा लगातार बिरहोर टोला में पहुंचकर वहां रह रहे बिरहोर परिवारों के सदस्यों की स्थिति का जायजा लेकर उनकी जरूरतों को पूरा किया करती थी। उनके स्थानांतरण के बाद से कोई भी पदाधिकारी बिरहोर टोला नहीं पहुंचे हैं।
*क्या कहते हैं अधिकारी*
प्रखंड विकास पदाधिकारी राहुल देव ने बिरहोर महिला की मृत्यु पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि जो भी सरकारी सहायता होगी उनके परिजनों तक पहुंचाई जाएगी।