नाबालिग किरणी बिरहोर मौत मामले में मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान, मामला दर्ज
डीसी से आठ सप्ताह में कार्रवाई करने को कहा
हज़ारीबाग़ – केरेडारी प्रखण्ड में एनटीपीसी के चट्टी बरियातू कोल परियोजना के दुष्प्रभाव से खनन स्थल के कुछ मीटर पर स्तिथ पगार बिरहोर टोला नाबालिग किरणी बिरहोर के मौत के मामले में एक्टिविस्ट मंटू सोनी की शिकायत पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज कर लिया है। मानवाधिकार आयोग ने उपायुक्त हज़ारीबाग़ से आठ सप्ताह में कार्रवाई करते हुए सूचित करने का निर्देश दिया है। एनटीपीसी के चट्टी बरियातू कोयला खनन परियोजना के महज कुछ दूरी पर लुप्तप्राय आदिम जनजाति बिरहोर समुदाय का एक बस्ती है, जहां एनटीपीसी के एमडीओ ऋत्विक-एएमआर द्वारा खनन कार्य किया जा रहा है। जिसके दुष्प्रभाव में नाबालिग किरणी बिरहोर बीमार चल रही थी । उसी दौरान विगत 28 फरवरी को उसी मौत हो गई थी। जिसको लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से बिरहोर बस्ती को बिना बसाए खनन कार्य करने और किरणी बिरहोर की मौत के जिम्मेवार लोगों को चिन्हित कर कानूनी कार्रवाई करने की मांग की गई थी ।
जिला प्रसाशन के मौन के कारण बिरहोर बस्ती और छोटकी नदी के अस्तित्व खतरा में
शिकायत कर्ता मंटू सोनी ने अपने शिकायत में एनटीपीसी के चट्टी बरियातू कोल परियोजना के खनन स्थल से महज कुछ मीटर की दूरी पर लुप्तप्राय आदिम जनजाति बिरोहर बस्ती को बिना विस्थापित-पुर्नवास किए खनन कार्य कर कार्य चालू कर दिए जाने की बात बताया है। कहा है कि खनन स्थल के समीप आदिम जनजाति बिरहोर आबादी 250 की संख्या की आबादी,40 बच्चे रहते हैं।
जिसके दुष्प्रभाव में आकर 28 फरवरी 2024 को दस वर्षीय नाबालिक आदिम जनजाति बिरहोर बच्ची की मौत हो गई और कंपनी द्वारा महज चालीस हजार मुआवजा देकर शव दफनाने का दबाव दिए जाने की जानकारी दिया था। इसके अलावे खनन के आसपास घनी मानवीय आबादी भी है जिसे विस्थापित-पुर्नवास किए बिना खनन कार्य जारी किया जा रहा है। परियोजना अंतर्गत छोटकी नदी के एक किलोमोटर एरिया को भी बंद कर उसमें ओबी डंप कर उसे भर दिया गया है। जिससे उस नदी के अस्त्तिव मिटने के कगार पर आ गया है। पूरे मामले पर जिला-प्रसाशन भी मौन है और आम जनता विवश है। एनटीपीसी और जिला प्रसाशन द्वारा समुचित प्रयास करने के आश्वासन देकर मामूली पानी छिड़काव के नाम पर मानवीय आबादी को खतरे में डाल खनन कार्य कर रही है। किसी अनहोनी होने पर स्थानीय प्रशासन/मीडिया को मैनेज कर दबाने का प्रयास किया जाता है।
बिरहोर बस्ती को बिना बसाए खनन पर जिला प्रसाशन मौन ?
एनटीपीसी के एमडीओ ऋत्विक-एएमआर की मनमानी और जिला प्रशासन के मौन से हो रही मौत और बिरहोर बस्ती तथा छोटकी नदी के अस्तित्व पर मंडरा रहे खतरे को उठ रहे सवालों पर जिला प्रसाशन का मौन और बिरहोर बस्ती को बसाए जाने का प्रयास करने की बात बोल मूल मुद्दों से ध्यान भटकाने का जो प्रयास किया जा रहा है,उससे जिला प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़ा किए जा रहे हैं। क्योंकि जिला प्रशासन कैसे बिरहोर बस्ती को बिना बसाए खनन कार्य चालू करवाया ? उस बस्ती में मौत के जिम्मेवार लोगों को चिन्हित कर कानूनी कार्रवाई करने के बजाए एमडीओ द्वारा चालीस हजार मुआवजा देकर मामले को रफा-दफा करने के प्रयास पर उसकी चुप्पी भी गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रही है।