ब्रेकिंग : VVPAT को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की सभी याचिकाएं, बैलेट पेपर की मांग भी ठुकराई, इवीएम से होगा मतदान
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) में डाले गए वोटों के साथ वीवीपैट (VVPAT) के 100 फीसदी सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) अपना फैसला सुनाते हुए वीवीपैट से जुड़ी सभी याचिकाएं खारिज कर दीं. 24 अप्रैल की सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस मामले में याचिकाकर्ताओं की तरफ से एडवोकेट प्रशांत भूषण, गोपाल शंकरनारायण और संजय हेगड़े पैरवी कर रहे हैं. वहीं, चुनाव आयोग की ओर से अब तक एडवोकेट मनिंदर सिंह, अफसरों और केंद्र सरकार की ओर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मोर्चा संभाला था.
इससे पहले जब फैसला आना था तब सुप्रीम कोर्ट में करीब 40 मिनट तक चली सुनवाई में जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा था- ‘मेरिट पर दोबारा सुनवाई नहीं कर रहे. हम कुछ निश्चित स्पष्टीकरण चाहते हैं. हमारे कुछ सवाल थे जिनके जवाब मिल गए. हम फैसला सुरक्षित रख रहे हैं.’
सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच में ये मामला आगे बढ़ा. कोर्ट ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए अपनाए गए कदमों के बारे में चुनाव आयोग के वकील से EVM और VVPAT की पूरी प्रक्रिया समझी थी. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने विभिन्न याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा था कि हर चीज पर संदेह करना एक समस्या है. सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा था कि हर चीज पर संदेह नहीं किया जा सकता और चुनाव प्रकिया की अपनी गरिमा होती है.
चुनाव आयोग की दलील
मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) से जुड़ी आशंकाओं को खारिज करते हुए लोगों को विश्वास दिलाया कि उनका वोट सुरक्षित है. उन्होंने कहा था कि ECM शत-प्रतिशत सुरक्षित हैं क्योंकि बड़ी मात्रा में तकनीकी, प्रशासनिक और प्रक्रियात्मक सुरक्षा मानक अपनाए गए हैं. ‘सुप्रीम’ सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग (EC) ने कहा था वोटर्स को VVPAT स्लिप देने में बहुत बड़ा रिस्क है. इससे वोट की गोपनीयता से समझौता होगा और बूथ के बाहर इसका दुरुपयोग संभव है. इसका इस्तेमाल दूसरे लोग कैसे कर सकते हैं, हम नहीं कह सकते हैं.
मामले में अब तक क्या कुछ हुआ
VVPAT पर्चियों की 100% वेरिफिकेशन को लेकर एक्टिविस्ट अरुण कुमार अग्रवाल ने अगस्त 2023 में याचिका लगाई गई थी. याचिकाकर्ताओं ने मतपत्रों के जरिए मतदान की व्यवस्था की ओर वापस लौटने का निर्देश देने का अनुरोध किया था. मतदाताओं की चुनावी प्रणाली में संतुष्टि और भरोसा के महत्व को रेखांकित करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा था कि वे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की प्रभाविता पर संदेह नहीं करें और अगर निर्वाचन आयोग अच्छा काम करता है तो उसकी सराहना करें.
क्या है वीवीपैट और ये कैसे काम करती है?
पहले बैलट से चुनाव होते थे. बूथ कैप्चरिंग की खबरें आना आम बात होती थी. मतपेटियां लूट ली जाती थीं. देशभर में ऐसी खबरें आती थीं. मतपत्रों को मिलाने में और उनकी गिनती करने में बड़ा समय लगता था. आगे समय बदला तो EVM आ गई. चुनाव हारने वाली राजनीतिक पार्टियों ने जब EVM पर सवाल उठाए तो VVPAT मशीन आई. वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल उर्फ VVPAT मशीन को EVM मशीन के साथ कनेक्ट किया जाता है. वीवीपैट एक स्वतंत्र वोट सत्यापन प्रणाली है जिसके तहत मतदाता देख सकते हैं कि उनका वोट सही तरीके से डाला गया है या नहीं.
देश में पहली बार इसका इस्तेमाल 2013 में नागालैंड विधानसभा चुनावों के दौरान हुआ था. दरअसल चुनाव आयोग (EC) ने ईवीएम के जरिए धांधली के कथित आरोपों यानी समस्या का समाधान निकालने के लिए इस VVPAT का इंतजाम किया था.
EVM और VVPAT दोनों ही मशीन कंट्रोल यूनिट के साथ जुड़ी होती हैं. जैसे ही कोई मतदाता ईवीएम मशीन का बटन दबाता है, तो एक बीप की आवाज आती है. इससे पुष्टि होती है कि आपका वोट पड़ गया है. वहीं इसके साथ में लगी वीवीपैट मशीन में आपने जिस उम्मीदवार को वोट दिया है उसकी एक पर्ची प्रिंट होकर दिखने लगती है.
इस पर्ची को कोई भी अपने साथ घर लेकर नहीं जा सकता. लेकिन मतदाता को यह पर्ची मशीन में कुछ सेकंड तक जरूर नजर आती है जिससे वह इस बात की तस्दीक कर सकता है कि उसका वोट वाकई उसी पार्टी के उम्मीदवार को गया है जिसे उसने वोट दिया है. वोटिंग प्रॉसेस के अंत में ये पर्ची मशीन में मौजूद सील पैक्ड बक्से में गिरती है. EVM पर भरोसा न करने वाले हर वोट के 100 फीसदी मिलान की मांग कर रहे हैं.