Saturday, September 21, 2024

चुनाव के अंतिम पड़ाव से पहले PM मोदी 2 दिन जहां रहेंगे ध्यान में लीन, कभी वहीं देश को मिला ‘भारत माता’ का विजन

चुनाव के अंतिम पड़ाव से पहले PM मोदी 2 दिन जहां रहेंगे ध्यान में लीन, कभी वहीं देश को मिला ‘भारत माता’ का विजन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंतिम चरण के चुनाव से पहले 30 मई को प्रचार खत्म होने के बाद ही ध्यान पर बैठ जाएंगे। 1 जून को अंतिम चरण का चुनाव है और इसके लिए 30 मई को प्रचार अभियान खत्म होते ही इस बार पीएम मोदी कन्याकुमारी चले जाएंगे।

लोकसभा चुनाव अभियान की समाप्ति के बाद प्रधानमंत्री तमिलनाडु में कन्याकुमारी स्थित विश्व प्रसिद्ध विवेकानंद रॉक मेमोरियल जाएंगे और अगले दो दिनों तक वहीं ध्यान में लीन रहेंगे। पीएम मोदी हर चुनावों के बाद आध्यात्मिक ज्ञान की यात्रा पर निकलते रहे हैं।

जिस जगह विवेकानंद ने लगाया ध्यान, वहीं पीएम मोदी करेंगे मेडिटेशन

प्रधानमंत्री कन्याकुमारी में रॉक मेमोरियल के ध्यान मंडपम में जिस जगह पर 30 मई की शाम से लेकर 1 जून की शाम तक मेडिटेशन करेंगे, उसी जगह पर स्वामी विवेकानंद ने भी ध्यान किया था, जिनके पीएम मोदी परम अनुयायियों में शामिल हैं।

कन्याकुमारी में स्वामी विवेकानंद को हुआ था ‘भारत माता’ के स्वरूप का अनुभव

स्वामी विवेकानंद को कन्याकुमारी में ही ‘भारत माता’ के स्वरूप का अनुभव हुआ था। जिस रॉक को आज हम विवेकानंद रॉक के नाम से जानते हैं, उसका स्वामी विवेकानंद के जीवन पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ा था। लोगों का विश्वास है कि जिस तरह से भगवान बुद्ध के जीवन में सारनाथ का विशेष स्थान है, उसी तरह से विवेकानंद रॉक का स्वामी विवेकानंद के जीवन में भी खास महत्त्व है।

उस पवित्र स्थान की है पौराणिक मान्यता

यही वह जगह है जब पूरे देश का भ्रमण करने के बाद वे पहुंचे थे और तीन दिनों तक ध्यान में लीन रहे थे। यहीं पर उन्हों विकसित भारत का सपना देखा था। पुराणों के मुताबिक देवी पार्वती भी उसी स्थान पर एक पैर पर ध्यान में लीन हो गई थीं और भगवान शिव के प्रकट होने की प्रतीक्षा की थी।

भारत के भूगोल के लिए भी अनुपम है वह स्थान

जिस स्थान पर विवेकानंद रॉक है, वह भारत की मुख्य भूमि का दक्षिणतम छोर है। इसी स्थान पर भारत की पूर्वी और पश्चिमी तट रेखाएं भी मिलती हैं। यही वह स्थान है, जहां हिंद महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर की भी जुगलबंदी होती है।

राष्ट्रीय एकता का संदेश देने का प्रयास

प्रधानमंत्री मोदी कन्याकुमारी जाकर राष्ट्रीय एकता के लिए एक संदेश देना चाहते हैं। यह पहली बार नहीं है, जब चुनाव अभियानों की समाप्ति के बाद पीएम मोदी आध्यात्मिक यात्रा पर निकल जाते हैं। 2019 में वे इसी तरह केदारनाथ गए थे और 2014 में वीर छत्रपति शिवाजी के प्रतापगढ़ पहुंचे थे।

18वीं लोकसभा चुनावों के लिए 543 सीटों पर मतदान की शुरुआत 19 अप्रैल को हुई थी और 1 जून को सातवें चरण के साथ ही यह खत्म हो रहा है। 4 जून को मतगणना होगी और उसी दिन परिणाम सामने आ जाएंगे।

1 रुपये के चंदे और एक जिद से कैसे बना वो मेमोरियल? जहां चुनाव प्रचार खत्म होते ही जा रहे PM मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव प्रचार अभियान खत्म होने के बाद 30 मई को कन्याकुमारी जाएंगे. यहां विवेकानंद शिला स्मारक के ‘ध्यान मंडपम’ में 1 जून तक ध्यान-साधना करेंगे. मेमोरियल ठीक उसी जगह बना है, जहां 25, 26, 27 दिसंबर 1892 को स्वामी विवेकानंद ने लगातार तीन दिनों तक साधना की थी. 60 के दशक तक तक यहां शिला ही हुआ करती थी. साल 1963 में जब स्वामी विवेकानंद की जन्म शताब्दी मनाई जा रही थी, तब कन्याकुमारी के कुछ स्थानीय लोगों ने शिला के पास एक स्मारक बनाने का मन बनाया. हालांकि उन्हें खास सफलता नहीं मिल पाई. इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्कालीन सरसंघचालक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर से संपर्क किया. गोलवलकर ने आरएसएस के प्रचारक एकनाथ रानाडे को स्मारक निर्माण का जिम्मा सौंपा. एकनाथ रानाडे अपनी किताब में लिखते हैं कि उस वक्त तमिलनाडु में कांग्रेस की सरकार थी और एम. भक्तवत्सलम मुख्यमंत्री हुआ करते थे. जब उनसे मेमोरियल के लिए मदद मांगी तो साफ मना कर दिया. यही रुख केंद्रीय सांस्कृति मंत्री हुमायूं कबीर का था…’ रानाडे ने इसके बाद भी हार नहीं मानी. वह दिल्ली आ गए और लाल बहादुर शास्त्री से मिले. लाल बहादुर शास्त्री ने रानाडे से कहा, ‘मैं बहुत धीरे चलने वाला व्यक्ति हूं, पर आपको रास्ता सुझा सकता हूं. अगर पर विवेकानंद शिला स्मारक के लिए जनमत तैयार कर लें तो इससे सरकार पर दबाव पड़ेगा. इसकी शुरुआत सांसदों से कर सकते हैं…’ उन दिनों संसद का सत्र चल रहा था. एकनाथ रानाडे फौरन अपने काम में जुट गए और अगले तीन दिन के अंदर 323 सांसदों से मिलकर उनसे सिग्नेचर करा लिया. जिसमें कांग्रेस से लेकर लेफ्ट जैसी पार्टियों के सांसद भी शामिल थे. इसके बाद रानाडे वापस शास्त्री के पास पहुंचे और उन्होंने हामी भर दी.

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