कन्याकुमारी में पीएम मोदी के ध्यान से क्यों उड़ गई विपक्ष की नींद? पिछले दो चुनावों में छिपा है रहस्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 मई (गुरुवार) को 18वीं लोकसभा चुनाव के प्रचार अभियान की समाप्ति के बाद तमिलनाडु के कन्याकुमारी में विवेकानंद मेमोरियल में करीब दो दिनों तक ध्यान में लीन रहेंगे। लेकिन, पीएम मोदी के इस निजी कार्यक्रम ने इस बार विपक्ष की एक तरह से पैर के नीचे की जमीन खिसका दी है।
विपक्षी गठबंधन में शामिल इंडिया ब्लॉक की कांग्रेस और सीपीएम जैसी पार्टियों ने तो इसे रोकने तक के लिए चुनाव आयोग तक से गुहार लगाई है। वहीं टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी को भी अंतिम चरण के चुनावों से पहले प्रधानमंत्री का मेडिटेशन बहुत खटक रहा है।
पिछले दो चुनावों में चौंकाने वाले रहे हैं पीएम मोदी के ध्यान का परिणाम
माना जाता है कि ध्यान या मेडिटेशन से बहुत ही ज्यादा आत्म शक्ति मिलती है। प्रधानमंत्री मोदी को अपने व्यस्त जीवन में जब-जब अवसर मिला है, वह ध्यान पर बैठते रहे हैं। लेकिन, 2014 के लोकसभा चुनावों के प्रचार खत्म होने के बाद और 2019 में भी समान मौके पर पीएम मोदी ने जहां-जहां ध्यान लगाया, उसका परिणाम चौंकाने वाला रहा है।
2014 में महाराष्ट्र के प्रतापगढ़ गए
2014 में जब 16वीं लोकसभा के लिए चुनाव प्रचार का काम पूरा हो गया तो गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी महाराष्ट्र के प्रतापगढ़ गए और उन्होंने वहां के ऐतिहासिक किले में ऊंचे पहाड़ों की खामोशी और समंदर की चीखती लहरों के बीच ध्यान में लीन हुए। यह स्थान छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़ा है।
2014 में महाराष्ट्र में भी बनी बीजेपी सरकार
इसके बाद 16 मई, 2014 को जो लोकसभा का परिणाम आया उसमें पहली बार बीजेपी की 282 सीटों वाली पूर्ण बहुमत की सरकार बनी। प्रधानमंत्री के उस ‘ध्यान’ का एक तरह का ‘आफ्टर इफेक्ट’ सिर्फ लोकसभा चुनावों तक ही सीमित नहीं रहा। कुछ महीने बाद महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हाथों से कुर्सी चली गई और बीजेपी की अगुवाई वाली भाजपा-शिवसेना गठबंधन की सरकार बन गई।
2019 में केदारनाथ स्थित पवित्र गुफा में हुए ध्यान में लीन
2019 के लोकसभा चुनावों में भी प्रचार अभियान के बाद ध्यान का सिलसिला पीएम मोदी ने बरकरार रखा। इस बार वे चुनाव प्रचार खत्म होते ही देवभूमि उत्तराखंड पहुंचे और बाबा केदारनाथ के दर्शन के लिए पहुंच गए। वहां पूजा-अर्चना के बाद पीएम मोदी ने वहीं की एक पवित्र गुफा में पूरी रात गुजारी। उनकी वहां पर ध्यान मुद्रा में लीन वाली तस्वीरें काफी वायरल हुईं।
भाजपा हुई 300 पार, एनडीए साढ़े तीन सौ से भी आगे
23 मई, 2019 को जो 17वीं लोकसभा का परिणाम आया उसने विपक्ष का मनोबल ही तोड़कर रख दिया। बीजेपी अकेले 303 सीटें जीत गई और उसकी अगुवाई वाले गठबंधन एनडीए 353 सीटें जीत गया। यह इतनी बड़ी जीत थी कि दो महीने बाद ही मोदी सरकार ने जम्मू और कश्मीर से विवादित आर्टिकल 370 को हमेशा के लिए खत्म करने जैसा कदम उठाया।
उत्तराखंड में सारी अटकलें खारिज कर बीजेपी सत्ता पर रही काबिज
लेकिन, उस साल भाजपा को एक और बड़ी कामयाबी मिली। उत्तराखंड में 2017 में ही बीजेपी, कांग्रेस को हटाकर सत्ता में आ चुकी थी। लेकिन, 2022 के उत्तराखंड विधानसभा चुनावों में उसकी हालत पतली बताई जा रही थी। लेकिन, सारी अटकलों को खारिज करते हुए पार्टी वहां अपनी सरकार कायम रखने में सफल हो गई।
2024 में कन्याकुमारी में ध्यान के हैं बड़े सियासी मायने!
2024 में प्रधानमंत्री चुनाव प्रचार के बाद तमिलनाडु के कन्याकुमारी पहुंच रहे हैं। इस बार उन्होंने खुद ही बीजेपी के लिए 370 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है और एनडीए के लिए ‘400 पार’ का नारा दिया है। लेकिन, विपक्ष की चिंता को देखते हुए लग रहा है कि कहीं वे 2026 में होने वाले तमिलनाडु विधानसभा चुनावों को लेकर न परेशान हो गए हों।
प्रधानमंत्री ने 20 मई को पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि 2019 में भी बीजेपी दक्षिण भारत में सबसे बड़ी पार्टी थी और इस बार भी सबसे बड़ी पार्टी बनेगी। उन्होंने कहा, ‘माइंड-शेयर में हमने पहले ही उछाल देखा है, हम इस इलाके में सीट शेयर और वोट शेयर में भी बड़ी उछाल देखेंगे।’
बीजेपी का दक्षिण भारत में सबसे बड़ी पार्टी बनने का लक्ष्य
दक्षिण भारत में 543 लोकसभा सीटों में से 131 सीटें हैं, जिनमें से सबसे ज्यादा 39 सीटें तमिलनाडु में हैं। पूरे दक्षिण भारत और खासकर इस राज्य में भाजपा का जनाधार बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने खुद भी काफी मेहनत की है। इसे इस तरह से समझा जा सकता है कि बीते तीन वर्षों में उनकी एक-तिहाई से ज्यादा यात्राएं इन्हीं राज्यों में हुई हैं।
तमिलनाडु में 2026 का विधानसभा चुनाव जीतने का लक्ष्य!
सबसे बड़ी बात ये है कि 2024 में पीएम मोदी अकेले 7 बार तमिलनाडु के दौरे पर पहुंचे हैं। दरअसल, तमिलनाडु में बीजेपी बहुत बड़े लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रही है। प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी के इस अभियान में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और आईपीएस की सेवा छोड़कर बीजेपी में आने वाले के अन्नामलाई का रोल बहुत ही अहम है।
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