भारत-श्रीलंका के बीच समुद्र पर पुल बनाना वाकई संभव है? श्रीलंकन राष्ट्रपति ने जगाई आस
भारत और श्रीलंका के बीच प्राचीन काल से संबंध रहे हैं और जब रावण ने माता सीता का अपहरण किया था, तो भगवान राम ने उनकी तलाश और रावण संहार के लिए नल और नील की मदद से विशाल समुद्र को बांध दिया था। उस पुल से साक्ष्य आज भी मौजूद हैं, लेकिन अब दोनों देशों की बीच फिर से पुल बनाने की तैयारी की जा रही है।
लिहाजा, सवाल ये उठ रहे हैं, कि क्या दोनों देशों की सीमा को जोड़ने के लिए पुल बनाने का सपना क्या वाकई संभव हो पाएगा?
दरअसल, श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने रविवार को कहा है, कि भारत के साथ भूमि संपर्क स्थापित करने का प्रस्ताव क्या वाकई संभव हो पाएगा, उसकी व्यवहार्यता पर जो स्टडी की जा रही है, वो अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है। राष्ट्रपति विक्रमसिंघे, जो क्षेत्र में विकास कार्यों का निरीक्षण करने के लिए मन्नार के उत्तरपूर्वी जिले में यात्रा कर रहे थे, उन्होंने कहा, कि व्यवहार्यता स्टडी का प्रारंभिक कार्य पूरा हो चुका है और अंतिम चरण जल्द ही पूरा हो जाएगा।
श्रीलंकन राष्ट्रपति के इस बयान के बाद अब दिलचस्पी इस बात को लेकर है, कि वाकई वो दिन आएगा, जब भारत में कोई कार सवार अपनी कार को स्टार्ट करेगा और श्रीलंका तक पहुंच जाएगा? क्या नीले समंदर से श्रीलंका तक की यात्रा करना वाकई संभव हो पाएगा?
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस हफ्ते श्रीलंका की यात्रा पर जाने वाले हैं और माना जा रहा है, कि इस दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच पुल बनाने की संभावना पर अहम बातचीत होने वाली है। इसके अलावा, भारतीय विदेश मंत्री श्रीलंका में पावर ग्रिड के निर्माण को लेकर भी बातचीत करने वाले हैं।
राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने कहा, कि भारतीय विदेश मंत्री की यात्रा के दौरान, भारत को अतिरिक्त अक्षय ऊर्जा बेचने के लिए एक वाणिज्यिक उद्यम पर भी चर्चा की जाएगी। शनिवार को श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने घोषणा की है, कि एस. जयशंकर 20 जून को कोलंबो पहुंचेंगे। हालांकि, भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से जयशंकर की यात्रा के बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।
लेकिन, अगर उनके दौरे की पुष्टि हो जाती है, तो इस महीने की शुरुआत में नई सरकार में भारत के विदेश मंत्री नियुक्त किए जाने के बाद यह जयशंकर की पहली आधिकारिक विदेश यात्रा हो सकती है।