जीटी रोड पर दनुआ घाटी में संभलकर चलें,
दुर्घटना वाले स्थान ब्लैक स्टॉप से बाहर
हर साल औसतन दो दर्जन से अधिक लोग होते हैं मौत के शिकार, दर्जनों अपंग,
सडक सुरक्षा की हर नीति फेल, वाहनों के टक्कर में फंसकर जाती है जान,
बाहर प्रदेश के लोग होते हैं शिकार, इसलिए नहीं उठाते लोग आवाज,
मदद के लिए जाने वाले पुलिस से लेकर आमलोग भी बने मौत के शिकार,
सांसद मनीष जायसवाल ने नितिन गडकरी से मिलकर रखी समस्या
लांग टर्म निवारण को लेकर हुई वार्ता
चौपारण, हजारीबाग
झारखंड के हजारीबाग जिले में जीटी रोड पर दनुआ घाटी है। यहां से अगर आप गुजर रहे हैं तो सावधान हो जाइए। यहां सबसे अधिक हादसे होते हैं। यही
नहीं इस मार्ग पर कई खतरनाक स्थान हैं लेकिन ब्लैक स्पाट की सूची में नहीं हैं।
एनएच दो स्थित दनुआ घाटी का लगभग आठ किमी का क्षेत्र पिछले दो दशक से अधिक समय से रक्तरंजित हो रही है। रक्तरंजित होने के पीछे अभियंताओं द्वारा डिजाईन की गई सड़क के नक्शे में गलती बताई जाती है, जिसका खामियाजा राहगीर अपनी जान देकर चुका रहे हैं। 2019 में महारानी बस में एक साथ हुई 14 लोगों की भीषण दुर्घटना में मौत के बाद दिल्ली से आई विशेषज्ञों की टीम ने जांच में सड़क की डिजाईन में गलती पाया था। उस समय बताया गया था कि डिजाईन में गलती होने के कारण सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं। इसके बाद आज पांच साल होने को है, जांच रिपोर्ट पर एनएचआइ एक कदम भी आगे नहीं बढ़ी। आज भी घाटी में दुर्घटना रोकने के उपाय नहीं किए गए। घाटी में न बोर्ड लगा न सुरक्षा के उपाय किए गए। जिसका खामियाजा हर चौथे पांचवे दिन राहगीरों को भुगतना पडता है।
जिले की सबसे खतरनाक सड़क ही ब्लैक स्पॉट से बाहर है। झारखंड और बिहार सीमा पर एनएच दो जीटी रोड पर मौजूद दनुआ घाटी को लोग अब मौत की घाटी के रूप में भी जानने लगे हैं। हर साल में यहां पर छोटी बड़ी 40 से अधिक दुर्घटनाएं होती हैं। इसमें हर साल दर्जनों लोगों को अपनी जान गवानी पडी है। बताया जाता है कि यहां पर दुर्घटनाओं में शामिल अधिकांश वाहन दूसरे राज्य के होते हैं जिस वजह से मामले दर्ज नहीं होते। ऐसे में दुर्घटनाएं थाने तक नहीं पहुंचने की वजह से ही इसे सरकारी रिपोर्ट में ब्लैक स्पॉट से बाहर कर दिया गया है। संभवतः यही कारण है कि स्थानीय लोग भी कभी घाटी की दुर्घटना को मुद्दा नहीं बनाते।
चौपारण की ओर से चोरदाहा की ओर बढ़ने पर लगभग आठ से दस किलोमीटर के दायरे में कई तीखे मोड़ हैं लेकिन वहां पर सूचना को दर्शाती बोर्ड की संख्या बेहद कम है। इक्के दुक्के स्थान पर ही बोर्ड लगाए गए हैं। हथिया बाबा मंदिर के पास तेज ढलान है उसके ठीक सामने खाई है। यह स्थल ही सबसे घातक है। इस स्थल पर दो सौ से अधिक बार वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो चुकी है। 10 मई 2019 को महारानी बस के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद चौदह लोगों की मौत हुई। दिल्ली से यहां पहुंची एनएचएआई की टीम ने भी सड़क में तकनीकी खामियों का जिक्र किया था। रिपोर्ट ने सड़क की चौड़ाई कम बताई थी। साथ ही यहां पर खाई का भी जिक्र किया था। हालांकि उसके बाद खाई को कम करने के काम के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हुई। स्थितियां पहले की तरह ही बनी हुई है। चौपारण से चेकपोस्ट तक 20 किलोमीटर में 12 तीखें मोड़ है। लेकिन चेतवानी को लेकर कोई बोर्ड नही है। रात में जब जब ढलान में वाहन खराब हुये हैं, भीषण दुर्घटना होती है।
यही नहीं अब तो क्या आम क्या खास सभी तत्काल मदद करने में भी डरते हैं। बीते दो साल पहले मदद के लिए पहुंचे पुलिस के एक हवलदार पर ही वाहन पलट गई जिससे मौत हो गई। बीते माहभी दुर्घटना के बाद मदद के लिए पहुंचेतिलैया के होटल संचालक सिख युवक गोल्डी सिंह की दूसरे को मदद
करने के दौरान मौत हो गई। एक बार तो जांच के लिए पहुंचे एन एच की टीम के साथ तत्कालीन सीओ नितिन शिवम गुप्ता, बीडीओ अमित श्रीवास्तव, थाना प्रभारी नितिन सिंह ने किसी तरह भागकर जान बचाई।
इधर जीटी रोड सिक्स लेन प्रोजेक्ट के तहत पूरे घाटी में एक इंच भी काम नहीं लगा है। सडक चौडीकरण के तमाम प्रयास रुक गये हैं। जानकारी हो कि दनुआ घाटी का पूरा क्षेत्र गौतम बुद्ध वन्य प्राणी आश्रयणी क्षेत्र के तहत आता है। सडक चौडीकरण और खाई को भरने के बाद ही दुर्घटना कम हो सकती है।
सांसद ने केंद्रीय मंत्री से भेंट कर समस्या से कराया अवग
नई दिल्ली में बुधवार को सांसद मनीष जायसवाल ने केंद्रीय सडक परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात कर क्षेत्र की समस्याओं को दूर करने को लेकर पत्र सौंपा। इसमें
एनएच 33 में चुटुपालु घाटी तथा चौपारण से बाराचट्टी के बीच ब्लैक स्पाट का विषय को रखा। सांसद ने बताया कि हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र के विभिन्न रोड-पुल संबंधित विषयों पर विस्तार से चर्चा हुई।
इसमें हमारे लोकसभा क्षेत्र में दो ऐसे ब्लैक स्पॉट है, जहां लगातार दुर्घटनाएं होती हैं। कई परिवार इसके कारण बर्बाद हो चुके है। एक एनएच 33 में चुटुपालु घाटी तथा दूसरा है चौपारण से बाराचट्टी के बीच दनुवा के पास। इसके सुधार की अति आवश्यकता है जिससे जान और माल की हानि कम की जा सके।
इन दोनों स्थानों का डीपीआर बनाने के लिए एवं लॉन्ग टर्म निवारण के लिए मंत्री महोदय ने विभाग के पदाधिकारियों को निर्देश दिया है। जल्द ही इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाए जाएंगे।
मैं क्षेत्र वासियों को भरोसा देना चाहता हूं कि इस दिशा में हर स्तर व माध्यम से प्रयास जारी रखूंगा।