Saturday, April 12, 2025

सीमा ने सरहद की सीमा लांघी , झारखंड के डाहू गांव से हार्वर्ड तक, संघर्ष और सफलता की मिसाल बनीं सीमा कुमारी

द जोहार टाइम्स

झारखंड के एक सुदूरवर्ती गांव डाहू में जन्मी सीमा कुमारी ने वो कर दिखाया, जो न केवल उनके समुदाय बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा बन चुका है। सीमित संसाधन, सामाजिक व पारिवारिक बंधन, और असमानता से भरी दुनिया में एक लड़की ने अपनी पहचान बनाई — एक फुटबॉल खिलाड़ी, एक मेहनती छात्रा, और अब हार्वर्ड की छात्रा के रूप में।

गांव की गलियों से ग्लोबल मंच तक

जहाँ अधिकांश लड़कियाँ शिक्षा से वंचित रह जाती हैं, वहाँ सीमा ने खेल के मैदान में किक मारकर अपनी किस्मत को दिशा दी। युवा फाउंडेशन के माध्यम से जुड़ी फुटबॉल से मिली पहचान ने उनके जीवन की राहें खोल दीं। खेल ही उनका पासपोर्ट बना, जिसने उन्हें अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों के समर प्रोग्राम्स में भाग लेने का अवसर दिया।

सपनों की ऊँचाई: हार्वर्ड

सीमा ने साबित कर दिया कि एक सपना चाहे डाहू की मिट्टी में जन्मे या न्यूयॉर्क की ऊँचाइयों में—अगर हौसले हों, तो सीमाएँ रास्ता नहीं रोक सकतीं। उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पूर्ण स्कॉलरशिप के साथ अर्थशास्त्र (Economics) में दाखिला लिया है।

नारी शक्ति का नया चेहरा

सीमा की यात्रा सिर्फ व्यक्तिगत नहीं है—यह हर उस लड़की के लिए प्रेरणा है जिसे कभी कहा गया कि “लड़कियाँ बाहर नहीं जातीं”, “पढ़ाई छोड़ दो”, या “फुटबॉल लड़कों का खेल है”।

समाज को दिया एक नया विज़न

सीमा अब खुद कहती हैं:

“मैं अब सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि उन सैकड़ों लड़कियों के लिए पढ़ती हूँ जिन्हें ये दुनिया पढ़ने नहीं देना चाहती।”

वो अपने गाँव की अन्य लड़कियों को जागरूक कर रही हैं, सिविक लीडरशिप, समान शिक्षा अधिकार, और महिला सशक्तिकरण पर काम कर रही हैं।

हार्वर्ड पहुंची, पर गाँव नहीं भूली

आज भी सीमा अपने गांव लौटती हैं, वहां की लड़कियों को प्रेरित करती हैं, और कहती हैं:

“तुम्हारी मंज़िल भी हार्वर्ड हो सकती है, बस अपने अंदर की आवाज़ सुनो और डरो मत।” हमें गर्व है कि झारखंड की बेटी सीमा कुमारी आज वैश्विक पटल पर भारत का नाम रोशन कर रही हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

आपकी राय
न्यू अपडेट
राशिफल
लाइव स्कोर
आज का मौसम

RELATED NEWS

error: Content is protected !!