डल झील की सैर बनी जीवन रक्षक – आतंकी हमले से चंद घंटे पहले छोड़ा पहलगाम
केरल उच्च न्यायालय के तीन न्यायाधीश परिवार समेत बाल-बाल बचे
श्रीनगर/पहलगाम, 23 अप्रैल।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले से ठीक पहले एक सुखद संयोग ने केरल उच्च न्यायालय के तीन न्यायाधीशों और उनके परिवारों की जान बचा ली। डल झील में शांति से नाव की सवारी करने की ख्वाहिश ने उन्हें उस भयावह हमले से महफूज रखा, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई।
न्यायमूर्ति अनिल के. नरेंद्रन, न्यायमूर्ति जी. गिरीश और न्यायमूर्ति पी.जी. अजित कुमार 17 अप्रैल को अपने परिवारों सहित श्रीनगर पहुंचे थे। 22 अप्रैल को सभी पहलगाम घूमने गए थे और वहां रात बिताने का भी कार्यक्रम था। लेकिन न्यायमूर्ति नरेंद्रन की डल झील में नाव की सवारी की इच्छा के चलते पूरी टीम ने श्रीनगर लौटने का निर्णय लिया।
सुबह करीब 9:30 बजे वे पहलगाम से रवाना हो गए। कुछ ही घंटों बाद वहीं एक बड़ा आतंकी हमला हुआ, जिसमें दो विदेशी नागरिक और दो स्थानीय लोगों समेत 26 लोग मारे गए। यदि न्यायाधीश और उनके परिजन कुछ समय और वहीं रुकते, तो वे भी इस हमले की चपेट में आ सकते थे।
डल झील की शांत और सुंदर सैर इस बार केवल एक सुकून भरा अनुभव नहीं, बल्कि कई जिंदगियों के लिए जीवनदान साबित हुई।
हमले की भयावहता
22 अप्रैल को हुए इस आतंकी हमले में भारी गोलीबारी और ग्रेनेड से हमला किया गया। पर्यटकों और आम नागरिकों को निशाना बनाया गया। इसके बाद सुरक्षा बलों ने पूरे क्षेत्र को घेर लिया और सघन तलाशी अभियान चलाया। केंद्र सरकार ने हमले की कड़ी निंदा करते हुए दोषियों पर सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है।