नीति आयोग की बैठक: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री मोदी से की ₹1.4 लाख करोड़ के बकाया की मांग, खनन नीति पर दिए अहम सुझाव
विकसित भारत के लिए विकसित गाँव: CM सोरेन ने नीति आयोग में पेश किया झारखंड का विज़न, योजनाओं को राज्य की ज़रूरतों के अनुरूप बनाने पर दिया जोर
नई दिल्ली: 24 मई, 2025 – झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आज नई दिल्ली के भारत मंडपम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक में हिस्सा लिया। इस महत्वपूर्ण मंच पर मुख्यमंत्री सोरेन ने ‘विकसित भारत’ की परिकल्पना को साकार करने के लिए ‘विकसित गाँव’ को केंद्र बिंदु बनाने पर विशेष जोर दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री और अन्य गणमान्य लोगों के सामने झारखंड की जनता की आवश्यकताओं को प्रमुखता से रखा और राज्य से जुड़े कई गंभीर मुद्दे उठाते हुए महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए।
बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, नीति आयोग के अध्यक्ष अमिताभ कांत और विभिन्न राज्यों के राज्यपाल, मुख्यमंत्री तथा वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
खनन बकाया और नीतिगत सुधारों पर CM सोरेन का जोर
मुख्यमंत्री सोरेन ने खनन क्षेत्र से जुड़े कई गंभीर मुद्दे उठाए। उन्होंने बताया कि झारखंड में खनिज और कोयले की बहुतायत है, लेकिन इसके खनन से प्रदूषण और विस्थापन एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने केंद्र सरकार से सेंट्रल कोल बेसिन अथॉरिटी (CBA) एक्ट में संशोधन कर खनन के बाद कंपनियों द्वारा ली गई भूमि को राज्य सरकार को वापस देने का प्रावधान करने की मांग की। मुख्यमंत्री ने बताया कि खनन कंपनियों पर ‘नॉन पेमेंट ऑफ लैंड कंपनसेशन’ के तहत राज्य का ₹1,40,435 करोड़ का बकाया है, जिसे उन्होंने तत्काल मुहैया कराने की अपील की।
उन्होंने अनाधिकृत खनन के लिए कंपनियों की जवाबदेही तय करने और राज्य में कोल बेस्ड मीथेन गैस का तकनीकी रूप से ऊर्जा उत्पादन में उपयोग करने की संभावनाओं पर भी बात की। उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि खनन कंपनियों के लिए कैप्टिव प्लांट लगाना अनिवार्य हो और कुल उत्पादन का 30% राज्य में इस्तेमाल होने से रोज़गार सृजन में वृद्धि होगी।
CSR, DMFT फंड और केंद्रीय योजनाओं में राज्यों की भागीदारी
मुख्यमंत्री ने कंपनियों के कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) फंड और डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट (DMFT) फंड को राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में समाहित करने की बात रखी। उनका तर्क था कि इससे इन फंडों का उपयोग राज्य के विकास और स्थानीय ज़रूरतों के हिसाब से अधिक प्रभावी ढंग से हो सकेगा।
सोरेन ने केंद्र सरकार द्वारा संचालित योजनाओं के मानदंड में बदलाव की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि केंद्रीय योजनाओं को राज्यों की विशिष्ट आवश्यकताओं और परिस्थितियों के अनुरूप लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना और अन्य केंद्रीय योजनाओं के लिए आवंटित राशि में वृद्धि की भी मांग की।
सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य पर झारखंड के प्रयास
मुख्यमंत्री ने नीति आयोग को झारखंड सरकार की विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार महिला सशक्तिकरण के लिए लगभग 50 लाख महिलाओं को प्रतिमाह ₹2500 की राशि प्रदान कर रही है। उन्होंने पेंशन योजना, मइयां सम्मान योजना और अबुआ स्वास्थ्य योजना जैसी प्रमुख पहलों का भी उल्लेख किया।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में, मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार जिलावार हेल्थ प्रोफाइल तैयार कर रही है, और उन्होंने सुझाव दिया कि इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जाना चाहिए, ताकि प्रखंड, अनुमंडल और जिला स्तर पर स्वास्थ्य सेवाएं मजबूत हो सकें। उन्होंने आयुष्मान योजना से वंचित 28 लाख परिवारों को ₹5 लाख का स्वास्थ्य बीमा और आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना से वंचित 38 लाख गरीब परिवारों को ₹15 लाख तक का स्वास्थ्य बीमा देने की बात भी कही।
बुनियादी ढाँचा, क्षेत्रीय असंतुलन और राजस्व बंटवारा
सोरेन ने क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने के लिए रणनीतिक महत्व के क्षेत्रों में आधारभूत संरचना के विस्तार को प्राथमिकता देने की आवश्यकता जताई। उन्होंने राज्य में डेडीकेटेड इंडस्ट्रियल माइनिंग कॉरिडोर विकसित करने पर जोर दिया, जिससे सामान्य परिचालन में सुविधा बढ़ सके।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश के वन क्षेत्र के पूर्वोत्तर राज्यों के समकक्ष होने के कारण आधारभूत संरचना के क्लियरेंस में होने वाली देरी का मुद्दा भी उठाया और पूर्वोत्तर राज्यों को मिलने वाली विशेष सहायता झारखंड को भी प्रदान करने की मांग की। उन्होंने साहेबगंज जिले को कार्गो हब के रूप में विकसित करने और गंगा नदी पर अतिरिक्त पुल या उच्च स्तरीय बांध के निर्माण को महत्वपूर्ण बताया।
राजस्व बंटवारे के मुद्दे पर, मुख्यमंत्री ने 16वें वित्त आयोग से राजस्व के वर्टिकल डेवल्यूशन को 41% से बढ़ाकर 50% करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने जीएसटी लागू होने के बाद झारखंड जैसे विनिर्माता राज्यों को हुई राजस्व हानि पर भी चिंता जताई और जून 2022 के बाद से मुआवजे की राशि न मिलने का मुद्दा उठाया, जिससे राज्य को हजारों करोड़ का राजस्व नुकसान हो रहा है।
नक्सल समस्या और प्रवासी मजदूरों का कल्याण
मुख्यमंत्री ने नक्सल समस्या पर नियंत्रण के बावजूद विशेष केंद्रीय सहायता को सभी 16 जिलों में लागू रखने की आवश्यकता पर जोर दिया, भले ही प्रभावित जिले अब दो तक सिमट गए हैं। उन्होंने उग्रवाद की समस्या से निवारण के लिए CAPF की प्रतिनियुक्ति पर राज्य द्वारा वहन किए जा रहे प्रतिधारण शुल्क को सहकारी संघवाद के सिद्धांत के तहत पूर्ण रूप से खत्म करने की भी मांग की।
प्रवासी मजदूरों के कल्याण और सुरक्षा पर बात करते हुए, मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से उन मजदूरों के वीजा, सुरक्षा और व्यय में भागीदारी सुनिश्चित करने की अपील की जो दूसरे देशों में काम करना चाहते हैं। उन्होंने कोविड महामारी के दौरान राज्य सरकार द्वारा प्रदान की गई सहायता और हाल ही में कैमरून में फंसे मजदूरों को अपने खर्चे पर वापस बुलाने का भी उल्लेख किया।
इस महत्वपूर्ण बैठक में झारखंड की ओर से मुख्य सचिव अलका तिवारी, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव अविनाश कुमार, स्थानिक आयुक्त अरवा राजकमल और योजना सचिव मुकेश कुमार भी शामिल रहे।