Sunday, June 1, 2025

बीवी को बचाने के लिए चलती ट्रेन से कूद पड़ा पति! कांधे पर उठाकर दौड़ा आधा किलोमीटर, लेकिन…”

बीवी को बचाने के लिए चलती ट्रेन से कूद पड़ा पति! कांधे पर उठाकर दौड़ा आधा किलोमीटर, लेकिन…”

मैंने सब कुछ किया… दौड़ा… चिल्लाया… उसे कंधे पर उठाया… पर मैं हार गया… वो चली गई…” — विकास जोशी

शिवपुरी, मध्य प्रदेश:जिंदगी की नई शुरुआत करने निकले एक नवविवाहित जोड़े की कहानी अचानक दर्द और मातम में बदल गई। डेढ़ महीने पहले ब्याही गई शिवानी शर्मा की चलती ट्रेन से गिरने से मौत हो गई — और उसके पति विकास जोशी की चीखें स्टेशन से लेकर अस्पताल तक गूंजती रहीं।यह दर्दनाक हादसा मंगलवार रात उज्जयिनी एक्सप्रेस (14310) में शिवपुरी के पास हुआ, जिसने हर किसी को झकझोर कर रख दिया।

सपनों की नई शुरुआत, लेकिन किसे पता था अंत इतना भयानक होगा

 

16 अप्रैल 2025 — विकास जोशी, पेशे से वकील, ने उत्तर प्रदेश के जालौन की एलएलबी छात्रा शिवानी शर्मा से शादी की थी। शिवानी की परीक्षाएं चल रही थीं, इसलिए वह अपने मायके उरई में थी। मंगलवार को उसका एग्जाम था। विकास उसे छोड़ने आए और साथ में लंच कर वापस इंदौर लौटने के लिए उज्जयिनी एक्सप्रेस पकड़ी।

 

🚨 ट्रेन में बिगड़ी तबीयत, और फिर जो हुआ वो रूह कंपा देगा

जैसे ही ट्रेन रफ्तार में आई, शिवानी को मितली आने लगी। उल्टी जैसा महसूस होते ही वह दरवाजे की तरफ भागी — और फिर कुछ ही पल में यात्री चीखने लगे, “महिला गिर गई!”

विकास ने दौड़कर दरवाजा देखा, पर शिवानी वहां नहीं थी। ट्रेन तब तक डेढ़ किलोमीटर आगे निकल चुकी थी।

 

💔 चलती ट्रेन से छलांग, पत्नी को खून से लथपथ पाया

विकास ने बिना देर किए ट्रेन से छलांग लगा दी। मोबाइल की टॉर्च जलाकर वो अंधेरे में दौड़ते हुए पीछे की ओर भागे। और फिर जो देखा, उससे उनकी रूह कांप गई — उनकी पत्नी शिवानी पटरी किनारे खून से लथपथ पड़ी थी।

🏃‍♂️ कंधे पर उठाकर आधा किलोमीटर तक दौड़ा, फिर भी ना बची जान

विकास ने शिवानी को अपने कंधे पर उठाया और आधा किलोमीटर दौड़ते हुए मुख्य सड़क तक पहुंचे। वहां एक कार सवार युवक और पुलिसवाले मिले। सभी की मदद से वे जिला अस्पताल पहुंचे। लेकिन वहां डॉक्टरों ने जो कहा, उसने सब खत्म कर दिया — “शिवानी अब इस दुनिया में नहीं रही।”

 

⚠️ जीआरपी और सिस्टम पर बड़े सवाल

विकास ने बताया कि उन्होंने तुरंत जीआरपी को कॉल किया, लेकिन कोई मदद नहीं आई। पुलिस सिर्फ कागज़ी कार्रवाई में लगी रही, जब हर सेकंड कीमती था। ये हादसा रेलवे की लापरवाहियों की पोल खोलता है।

 

 

😢 विकास की चीख – “मैंने सब किया… लेकिन बचा नहीं सका”

 

ये सिर्फ एक हादसा नहीं, सिस्टम की लापरवाही का आईना है। अगर ट्रेन समय पर रुकती, अगर इमरजेंसी रिस्पॉन्स तेज़ होता — तो शायद आज शिवानी ज़िंदा होती।

अब सवाल यह है — क्या अगली शिवानी को सिस्टम बचा पाएगा?

 

 

 

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