जानिए चंद्रमा पर उतरने के बाद लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ क्या करेंगे?
चंद्रयान 3 के लैंडर मॉड्यूल के चंद्रमा की सतह पर टचडाउन का इंतजार पूरी दुनिया के वैज्ञानिक कर रहे हैं। लेकिन, इसरो के वैज्ञानिकों का इंतजार यहीं खत्म नहीं होने वाला। लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग से उनका आधा काम ही पूरा होगा। इसरो में चंद्रयान 3 मिशन के वैज्ञानिकों का असली काम तो इसके बाद शुरू होना है।
लैंडिंग के बाद इसरो के वैज्ञानिकों की नजर एक लूनर डे (1 चंद्र दिवस यानी पृथ्वी के 14 दिन के बराबर) में रोवर ‘प्रज्ञान’ की व्यस्त गतिविधियों पर रहेगी। टचडाउन के बाद उन्हें चंद्रमा पर भेजे गए पांच पेलोड्स (3 लैंडर के सात, 2 रोवर के साथ) से जुड़े उपकरणों से भारी मात्रा में मिलने वाली डेटा के विश्लेषण करना होगा।
चंद्रमा पर उतरने के बाद क्या होगा?
लैंडर ‘विक्रम’ जब चंद्रमा की सतह पर उतरेगा तो थोड़ी देर बाद उसका एक साइड पैनल खुल जाएगा। इससे रोवर ‘प्रज्ञान’ के लिए एक रैंप तैयार होगा। करीब 4 घंटे बाद लैंडर से 6 पहियों वाला रोवर प्रज्ञान बाहर निकलेगा और चांद की सतह पर उतरना शुरू करेगा। प्रज्ञान पर एक तिरंगा और इसरो का एक लोगो लगा होगा, जिसका नजर आना ही हर भारतवासी के लिए गौरव का पल होगा।
चंद्रमा पर ‘लहराएगा’ तिरंगा
रोवर प्रज्ञान 1 सेंटीमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से आगे बढ़ेगा, जिसपर लगे नैविगेशन कैमरे चांद के आसपास के क्षेत्रों को स्कैन करते रहेंगे। रोवर प्रज्ञान चंद्रमा की मिट्टी पर भारतीय तिरंगा गाड़ देगा और इसरो के ‘लोगो’ की छाप छोड़कर चांद की सतह पर भारत की ऐतिहासिक उपस्थिति दर्ज कराएगा।
रोवर प्रज्ञान क्या करेगा?
रोवर पर जो पेलोड्स लगाए गए हैं, वह चंद्रमा की सतह से जुड़े डेटा उपलब्ध कराएंगे। रोवर चंद्रमा के वायुमंडल की मौलिक संरचना से संबंधित डेटा जुटाएगा और उसे लैंडर विक्रम को भेजेगा।
लैंडर विक्रम क्या करेगा?
अपने तीन पेलोड्स के साथ लैंडर विक्रम चांद पर आसपास की सतह के प्लाज्मा (आयन और इलेक्ट्रॉन) घनत्व का आकलन करेगा। यह चंद्रमा की सतह की थर्मल प्रोपर्टीज को भी मापेगा। इसके साथ-साथ यह लैंडिंग स्थल के आसपास वाली जगह की भूकंप जैसी गतिविधियों का भी आकलन करेगा या मापेगा। यही नहीं, यह इसकी चंद्र भूपर्पटी (लूनर क्रस्ट) और आवरण (मैंटल) की संरचना की भी रूपरेखा तैयार करेगा।
लैंडर और रोवर के पास सिर्फ 14 दिनों का वक्त
सौर ऊर्जा से संचालित लैंडर और रोवर के पास चंद्रमा के वातावरण का अध्ययन करने के लिए करीब दो हफ्ते (एक चंद्र दिवस) होंगे। क्योंकि, इसके बाद यहां अत्यंत ही सर्द घनी अंधेरी रात होगी। रोवर प्रज्ञान सिर्फ लैंडर विक्रम के साथ संवाद कर सकेगा, जबकि लैंडर विक्रम का संपर्क सीधे पृथ्वी के साथ जुड़ा रहेगा।
14 दिन में कितना चलेगा रोवर ?
हालांकि, पृथ्वी के 14 दिन यानी चांद के एक दिन में रोवर प्रज्ञान कितनी दूरी तय करेगा, इसका अभी से अनुमान लगाना संभव नहीं है। इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने टीओआई को बताया है, ‘पृथ्वी के 14 दिनों की अवधि में रोवर की ओर से तय की गई वास्तविक दूरी का अनुमान अभी नहीं लगाया जा सकता है। क्योंकि, ये विभिन्न बातों के आधार (वैज्ञानिक गणना) पर तय किया जाएगा।’
दूसरे चंद्र दिवस में भी लैंडर और रोवर के जीवत रहने की संभावना
चंद्रयान 3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर गया है। इस इलाके में लैंडर और रोवर दूसरे चंद्र दिवस (यानी पृथ्वी के 14 दिनों बाद) में भी जीवित रहें, यह तभी संभव है कि वे उस इलाके की पूरी चंद्र रात्रि को सुरक्षित तरीके से गुजार लें, जो कि माइनस 238 डिग्री होगा। वैसे इसरो चेयरमैन के मुताबिक ऐसी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि विक्रम और प्रज्ञान दोनों ही अगले चंद्र दिवस में भी जीवित रहें।