फर्जी एफआईआर करने वालों पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मानवाधिकार आयोग ने दर्ज किया मामला
कोर्ट द्वारा प्रथम दृष्टया आरोप पाए जाने के बाद भी पुलिस विभाग नही कर रही विभागीय कार्रवाई
हज़ारीबाग़ – बड़कागांव में एनटीपीसी के इशारे पर पुलिस पदाधिकारियों द्वारा आम लोगों पर फर्जी मामला दर्ज किए जाने की पुष्टि और कोर्ट द्वारा रिहा किए जाने के बाद पुलिस अधिकारियों और एनटीपीसी के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए मंटू सोनी द्वारा किए गए शिकायत के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मामला दर्ज कर लिया है। इसके पूर्व एक और फर्जी एफआईआर किए जाने की पुष्टि के बाद हज़ारीबाग़ एसडीजीएम सुश्री शिवानी शर्मा के अदालत ने तत्कालीन कार्यपालक दंडाधिकारी कुमुद झा,सब इंस्पेक्टर रामदयाल मुंडा,अकील अहमद,एनटीपीसी के टी गोपाल कृष्ण सहित अन्य पर कॉग्निजेंस लिया था। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को यह कहा गया है कि एनटीपीसी के अवैध कार्यों को संरक्षण देने के लिए जिला-प्रशासन के अधिकारियों को प्रभाव में लेकर उनसे विरोध करने वाले लोगों को फर्जी मुकदमा-दबाव-धमकी आदि जैसे
अनैतिक कार्यों में उपयोग किया जाता है।
*मानवधिकार आयोग से दोषियों के खिलाफ मामला दर्ज कर विभागीय कार्रवाई की मांग की गई*
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायतकर्ता मंटू सोनी द्वारा यह शिकायत किया गया था कि एनटीपीसी(त्रिवेणी-सैनिक माईनिंग प्राइवेट लिमिटेड) से अनैतिक लाभ प्राप्त कर पुलिस अधिकारियों ने एनटीपीसी के विरोध को दबाने के लिए अपने पद का दुरुपयोग कर षड्यंत्र रचकर फर्जी सबूत की रचना कर फर्जी मामला दर्ज किया था। जिसका कांड संख्या 136/16 है। रांची की विशेष अदालत एडीजे सात विशाल श्रीवास्तव की अदालत ने साक्ष्य के अभाव और गवाहों की अनुपस्तिथि में लखेन्द्र ठाकुर,अवध किशोर यादव,मिथलेश दांगी, डीलेश्वर महतो,युगेश्वर महतो सहित अन्य सभी को रिहा कर दिया था। जिसको लेकर रामदयाल मुंडा,अनुसंधानकर्ता, सुपरविजन अधिकारी सहित एनटीपीसी के अधिकारियों पर आईपीसी 195 के तहत मामला दर्ज कर विभागीय कार्रवाई करने की मांग की गई थी। शिकायत का अध्ययन कर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के लीगल सेल ने मामला दर्ज कर लिया है।
*कोर्ट द्वारा प्रथम दृष्टया आरोपी पाए जाने के बाद भी विभागीय कार्रवाई नही कर संरक्षण दिया जा रहा है*
बड़कागांव थाना कांड संख्या 136/16 से पूर्व कांड संख्या 135/16 में तत्कालीन कार्यपालक दंडाधिकारी कुमुद झा द्वारा थाना में दिए आवेदन को बदलकर थानेदार रामदयाल मुंडा द्वारा अन्य लोगों का नाम जोड़कर एफआईआर करने और अकील अहमद द्वारा बिना उचित जांच किए बिना सबूत चार्जशीट किए जाने को लेकर हज़ारीबाग़ एसडीजीएम सुश्री शिवानी शर्मा द्वारा प्रथम दृष्टया आरोपी पाए जाने के बाद भी पुलिस मुख्यालय को सूचना दिए जाने के उपरांत भी आरोपियों पर विभागीय कार्रवाई नही किया गया है। इसकी सूचना भी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को दी गई है।