आक्रामकता के शिकार मासूम बच्चों को संरक्षण चाहिए – बाल संरक्षण मंच
चौपारण(हजारीबाग) आक्रामकता के शिकार मासूम बच्चों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने से हम बच्चों के दुःख को उजागर करते हैं, जो शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से शोषित होते हैं। इस दिन का महत्व बच्चों के अधिकारों के संरक्षण प्रकट करने में है। यह एक मौका है जब हम सभी लोग मिलकर बच्चों के लिए सुरक्षित और न्यायपूर्ण माहौल बनाने के लिए एक साथ काम कर सकते हैं। उक्त बाते आज निर्दोष बच्चों के साथ दुर्व्यवहार विरोधी दिवस के अवसर पर बाल संरक्षण प्रतिष्ठान हजारीबाग इकाई के संयोजक सह हजारीबाग के सांसद जयंत सिन्हा के हवाले से उनके सांसद प्रतिनिधि मुकुंद साव ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा, उन्होंने कहा कि
आक्रामकता के शिकार हुए मासूम बच्चों के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस इस संदेश को साझा करता है कि, हमें उन बच्चों की सुरक्षा और संरक्षण की जरूरत है जो यौन शौषण, हिंसा और आक्रमण के पीड़ित होते हैं। इस दिवस के माध्यम से दुनिया के लोगों को संयुक्त राष्ट्र की ओर से इन बच्चों के अधिकारों के संरक्षण के प्रति जागरूक करना है। इन दिवसों के माध्यम से विश्व सामरिकता, मानवीयता और सामाजिक न्याय के महत्व को भी प्रोत्साहित किया जाता है।
इस दिवस की शुरुआत 19 अगस्त 1982 को हुई थी, जब इजराइल की हिंसा के दौरान फिलिस्तीन और लेबनान के निर्दोष बच्चों को युद्ध की हिंसा का शिकार होना पड़ा। इस हिंसा के विरोध में, फिलिस्तीन ने संयुक्त राष्ट्र से कदम उठाने का अनुरोध किया था। यह दिवस उन बच्चों के अधिकारों के संरक्षण, उनकी सुरक्षा, उनके भविष्य की रक्षा और उनके सामरिक उन्नति की प्रगति को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। यह एक अवसर है जब संयुक्त राष्ट्र और विश्व समुदाय उन बच्चों के अधिकारों की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं और उनके खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न से लड़ने का संकल्प लेते हैं।
आक्रामकता के शिकार मासूम बच्चों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस उन प्रताड़ित बच्चो को संरक्षण देने केलिए प्रेरित करती है, 4 जून को “अंतर्राष्ट्रीय दिवस इनोसेंट चिल्ड्रन ऑफ एग्रेशन” के रूप में मनाया जाता है इसलिए कि इसी दिन यानि 4 जून 1983 को इजरायल ने लेबनान पर हमला करने की घोषणा की थी ,यह घोषणा कई हिंसात्मक कार्रवाईयो की शुरुआत थी, जिसके परिणाम स्वरुप बहुत सारे बच्चे मारे गए या घायल हो गए ,युद्ध या अन्य सशस्त्र संघर्ष में बच्चों को सबसे ज्यादा प्रभावित होना पड़ता है, उन्हें सामान्य शिक्षा से वंचित होने के साथ-साथ पोषण की समस्या भी होती है ,अंतरराष्ट्रीय दिवस इनोसेंट चिल्ड्रन ऑफ एग्रेशन का आयोजन उन बच्चों के संरक्षण और उनके अधिकारों की सुरक्षा के महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है जो युद्ध और हिंसा के दौरान पीड़ित होते हैं, सरकार ने बाल संरक्षण के दृष्टिकोण से बाल संरक्षण आयोग का गठन किया, परंतु बच्चों तक उसका उसका अधिक लाभ ही पहुंच पाता है,सरकार ने बाल विकास परियोजना चलवाया,गांव गांव में आंगनवाड़ी केंद्र खोले गए,पर बच्चे आंशिक रूप से ही लाभान्वित हो रहे है,सरकार ने चाइल्ड हेल्प लाइन कार्यक्रम चलाया गया,पर आज भी बच्चे मजदूरी करते पाए जा रहे है,, बच्चे आज भी तस्कर के शिकार हो रहे है,,यौन शौषण,हिंसा, प्रताड़ना के शिकार बच्चे आज भी देश में है,बाल संरक्षण प्रतिष्ठान ने निर्दोष बच्चों के साथ दुर्व्यवहार दिवस के अवसर पर बाल संरक्षण की प्रतिबद्धता दोहराई है और बच्चों के अभिभावकों से निवेदन किया है कि अपने बच्चो को अपनी निगरानी में रखे,साथ ही बाल विकास ,बाल संरक्षण,चाइल्ड लाइन नामित जो भी संस्थाएं देश में संचालित है वो अपने कर्तव्यो का पालन करे ताकि बच्चो का भविष्य संभले क्योंकि बच्चे ही देश का भविष्य है,